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हरदा

जन्म के छठवें दिन ही कृष्ण ने किया था पूतना का वध, मना जन्मोत्सव

कांकरिया में चल रही है भागवत कथा

हरदाDec 25, 2018 / 11:10 pm

sanjeev dubey

bhagvat katha

बृज में भगवान कृष्ण का धूमधाम से जन्मोत्सव मनाया

कांकरिया. गांव में चल रही भागवत कथा के पांचवे दिन पंडित अमितकृष्ण महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया। इस अवसर पर भगवान का धूमधाम से जन्मोत्सव मनाया गया। उन्होंने बताया कि बृज में कृष्ण का जन्मोत्सव मनाने के बाद नंद बाबा ने गायों का दान किया था। वहीं भगवान श्रीकृष्ण ने 6 दिन की उम्र में ही पुतना का उद्धार किया था। उन्होंने घर-घर जाकर माखन की चोरी की थी। सात साल की उम्र में कृष्ण ने इंद्र का अभिमान चूर किया था और सात दिनों तक अपनी कनिष्ठका अंगुली पर गोवर्धन पर्वको उठाया था।भगवान की महिमा अपार है। कथा के अंत में भगवान को ५६ भोग प्रसादी चढ़ाया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने उपस्थित होकर कथा का श्रवण किया।
नर्मदा को स्वच्छ रखने का हर मनुष्य लें संकल्प
करतान.गांव छीपानेर में चल रही नर्मदा पुराण के तीसरे मंगलवार को कथावाचक पंडित ललित किशोर दाधिच ने कहां कि एक आसन पर बैठकर भाव से मनुष्य नर्मदा पुराण कथा सुनता है, तो उसे परिक्रमा लगाने का फल प्राप्त होता है। तप करने के लिए नर्मदा तट से बड़ी कोई भूमि नहीं। हर मनुष्य को एक ही संकल्प लेना चाहिए, जगत जननी मां नर्मदा को स्वच्छ बनाएं स्नान करते समय साबुन शैंपू का प्रयोग ना करें। वहीं कई लोग अपने वाहनों को पानी के अंदर ले जाकर साफ -सफाई करते हैं। वाहनों से निकलने वाला तेल पानी को दूषित करता है। मनुष्य के साथ-साथ मां नर्मदा में पलने वाले जीव-जंतुओं के लिए बेहद ही हानिकारक रहता है। नर्मदा तट एवं मंदिरों में की जाने वाली पूजा में धूप, अगरबत्ती, नारियल फूल माला चढ़ाकर हम फल तो प्राप्त कर लेते हैं, पर सच्चा फल तभी आपकों प्राप्त होगा जब पूजा की गई सभी सामग्री को एक उचित स्थान पर रख दें, जिससे आपकों देखने वाले चार लोगों को स्वच्छता का संदेश जाएगा। मां नर्मदा जीवनदायिनी हैं। नदियों की रक्षा करना ही हमारी सुरक्षा है। धर्मो रक्षति रक्षत धर्म की हम अगर रक्षा करेंगे तो धर्म हमारी रक्षा करेगा। आज कथा में योगिनी गुफा लंकेश्वर एवं सरस्वती रूप का वर्णन विस्तार से सुनाया गया। कथा के मुख्य यजमान जगदीश सिंह जगन्नाथ सिंह, संतोष सिंह समस्त छचार परिवार द्वारा कथा सुनने आए अतिथियों का स्वागत किया गया।
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