व्यापार में विविधता लाने गांवों में स्टोर्स खोलकर व्यवसाय कर सकेंगी सहकारी समितियां
– आत्मनिर्भर बनने के लिए बहु सेवा केंद्रों का रूप लेंगी सहकारी समितियां, माली हालत में होगा सुधार – केंद्र सरकार की आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत होगा अंतरण- उपभोक्ता सेवा केंद्र सहित कृषि संबंधित अन्य व्यवसाय कर सकेंगी सहकारी समितियां
व्यापार में विविधता लाने गांवों में स्टोर्स खोलकर व्यवसाय कर सकेंगी सहकारी समितियां
पत्रिका एक्सक्लूसिव
गुरुदत्त राजवैद्य, हरदा। करोड़ों के घाटे में दबी प्राथमिक कृषि ऋण संस्थाएं (पैक्स) का अंतरण बहु सेवा केंद्रों के रूप में किया जा रहा है। केंद्र सरकार द्वारा इनकी आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए यह कदम आत्मनिर्भर भारत योजना के विस्तार के तहत किया जाएगा। यानि अब सहकारी समितियां गांवों में स्टोर्स, ग्रामीण मार्ट, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स आदि खोलकर व्यापार में विविधता ला सकेंगी। इससे उनकी माली हालत (आर्थिक स्थिति) में सुधार होगा। सहकारिता विभाग द्वारा इस दिशा में कार्रवाई शुरू की गई है। विभाग की ओर से जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित होशंगाबाद-हरदा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी व नोडल अधिकारी को इस दिशा में कार्रवाई के लिए लिखा गया है। फिलहाल दो प्रारूप में सहकारी समितियों की जानकारी मांगी जा रही है। उल्लेखनीय है कि प्राथमिक कृषि ऋण संस्थाएं (पैक्स) आधार स्तरीय सहकारी संस्थाएं हैं, जो किसानों की प्राथमिक ऋण आवश्यकताओं को पूरा करती हैं। पैक्स को बहु सेवा केंद्रों में परिवर्तित करने की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही है, ताकि वे अपने व्यापार में विविधता ला सके और एक छत के नीचे अपने सदस्यों की आवश्यकताएं पूरी कर सकें।
कोविड 19 के प्रभाव से बदलाव की जरुरत
कोविड 19 के प्रभाव के बाद श्रमिकों की शहरों से गांव वापसी से पैक्स को बहु सेवा केंद्रों के रूप में बदलने की जरुरत बढ़ी है। इससे कृषि क्षेत्र में ग्रामीण युवकों के लिए रोजगार के अवसर जुटाए जा सकेंगे।
तीन वर्षों के लिए होगा परिवर्तन
विभाग की मंशा है कि अच्छे कार्य कर रही संस्थाओं को वर्ष 2020-21 से आगे तीन वर्षों की अवधि के दौरान बहु सेवा केंद्रों के रूप में परिवर्तित किया जाएगा। राज्य सहकारी बैंक के माध्यम से 3 प्रतिशत की दर से विशेष दीर्घावधि पुनर्वित्त सहायता प्रदान की जाएगी।
तीन विकल्प बताना होंगे समितियों को
योजना के तहत आठ प्रकार के व्यवसाय शुरू करने का प्रावधान रखा गया है। व्यापार में बदलाव के लिए सहकारी समितियों को तीन विकल्प बताना होंगे। समितियों की कार्यक्षमता के अनुसार निर्धारण होगा कि वे कौनसा व्यापार करेंगी।
व्यापार में विविधता के लिए यह गतिविधियां हैं शामिल
– कृषि भंडारण केंद्र : सॉर्टिंग या ग्रेडिंग इकाई के साथ नए वैज्ञानिक गोदाम या साइलो निर्माण।
– शीत भंडार गृह की स्थापना : कोल्ड चेन, लॉजिस्टिक्स सुविधा, मिल्क कलेक्शन और चीलिंग केंद्र, पैक हाउस।
– कृषि सेवा केंद्र : सदस्यों द्वारा किराए पर लेने-देने के लिए उच्च प्रौद्योगिकी कृषि उपकरण जैसे पावर टिलर, लैंड लेवेलर, रोटरी स्लाइसर, मूवर्स, सीड ड्रिलर, मल्टी क्रॉप प्लांटर, स्प्रैयर, कम्बाइन हार्वेस्टर आदि।
– कृषि प्रसंस्करण केंद्र : सॉर्टिंग, गे्रडिंग यूनिट, वैक्सिंग या पॉलिशिंग यूनिट, प्री कूलिंग चेंबर, पैकिंग सुविधा, पॉल्ट्री ड्रेसिंग यूनिट्स आदि।
– कृषि सूचना केंद्र : मृदा और जल परीक्षण प्रयोगशाला, कृषि के विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञों के पैनल से सेवा उपलब्ध कराना। ज्ञान प्रसार केंद्र, किसानों को प्रशिक्षण देना। ये सेवाएं किसानों को लागत पर दी जाएंगी।
– कृषि यातायात और विपणन सुविधा : उत्पादों की प्राप्ति, एकत्रीकरण और प्रसंस्करण के बाद प्रत्यक्ष मार्केट लिंकेज, ग्रामीण मार्ट की स्थापना, वे-ब्रिज, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, ई-मार्केटिंग प्लेटफार्म सहित सप्लाई चेन, मार्केटिंग सुविधा, ट्रांसपोर्ट वाहनों की खरीद।
– उपभोक्ता स्टोर : ग्रामीण क्षेत्रों से उपभोक्ता वस्तुओं की उचित कीमत पर नियमित आपूर्ति। पैक्स एक ही स्थान से इनकी खरीदी-बिक्री कर सकेंगी। आवश्यक लाइसेंस हो तो संस्थाएं पेट्रोल पंप या एलपीजी एजेंसी भी चला सकेंगी।
– आवश्यकता अनुसार पूर्ति : संबंधित क्षेत्रों में उत्पादित उपज की वेल्यू चेन आवश्यकता को पूरा करने के लिए कोई अन्य पोस्ट हावेस्ट प्रबंधन इन्फ्रास्ट्रक्चर।
अभी करोड़ों के घाटे में हैं सहकारी समितियां
ज्ञात हो कि सहकारी समितियां हर साल समर्थन मूल्य पर गेहूं, चना सहित अन्य उपज की खरीदी करती हैं। इस पर उन्हें खर्च के अलावा कमीशन मिलता है। वहीं दूसरी ओर समितियां किसानों को ऋण उपलब्ध कराती हैं। इस व्यवसाय को करने पर जिले की 52 समितियां फिलहाल करोड़ों के घाटे में बताई जाती हैं। समर्थन मूल्य खरीदी के दौरान उपज की घटत और निर्धारित सीमा से ज्यादा खर्च होने के कारण समितियां करीब 40 करोड़ के घाटे में हैं। इतनी ही राशि ऋणांतर की बताई जा रही है। यानि समिति को किसान सदस्यों से ऋण राशि लेने और सहकारी बैंक को देने में इतना अंतर है। हालत यह है कि बीज उत्पादक समितियों के साथ ही राज्य विपणन संघ को खाद आपूर्ति का करोड़ों का भुगतान नहीं हो पाता। विपणन संघ से नकद में खाद खरीदी के बाद इसे नकदी ही बेचा जा रहा है।
इनका कहना है
प्राथमिक कृषि ऋण संस्थाएं (पैक्स) की आर्थिक स्थिति सुधारने और ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए आत्मनिर्भर भारत के तहत कार्य किया जा रहा है। शुरुआत में बैंक के माध्यम से सहकारी समितियों की जानकारी जुटाई जा रही हैं, ताकि यह तय करने में आसानी हो कि कौनसी पैक्स क्या व्यवसाय कर सकती हैं। उनसे विकल्प के रूप में तीन प्रकार के व्यवसाय पूछे जा रहे हैं।
– अखिलेश चौहान, सहायक आयुक्त, सहकारिता विभाग, हरदा।
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