लॉकडाउन में पेट की भूख मिटाने गरीबों को गेहूं की जगह बांटा जा रहा सिर्फ चावल
क्षेत्र के लोगों का पसंदीदा है गेहूं, चावल बांटकर उड़ाया जा रहा गरीबों का मजाक
लॉकडाउन में पेट की भूख मिटाने गरीबों को गेहूं की जगह बांटा जा रहा सिर्फ चावल
खिरकिया. कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू किए गए लॉकडाउन में सरकार द्वारा गरीबों के पेट की भूख चावल से बुझाई जा रही है, जबकि जिले के रहवासी चावल को पसंद नहीं करते हैं। यहां के लोगों का मुख्य पसंदीदा गेहूं है। बावजूद इसके सहायता के नाम पर चावल दिया जा रहा है। इसको लेकर गरीब नाराजगी जता रहे हैं। जानकारी के अनुसार गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले नगर सहित विकासखंड में करीब 20 हजार परिवार है, जिन्हें योजना के तहत खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाना है। लॉकडाउन में मजदूरी सहित अन्य कार्य पूरी तरह ठप है, ऐसे में गरीब तबका शासन से मिलने वाली योजनाओं के लाभ पर ही आश्रित है। जो लोग पात्रता की श्रेणी में नहीं है, लेकिन जरूरतमंद है, उन्हें भी खाद्यान्न नाम पर सिर्फ चावल दिया जा रहा है। जबकि चावल सबसे अधिक दक्षिण भारत में पसंद किया जाता है।
दो योजनाओं के तहत मिल रहा सिर्फ चावल-
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत दो माह का खाद्यान्न गरीबों को दिया जा रहा है। इसमें अप्रेल एवं मई माह के खाद्यान्न के रूप में परिवार के प्रति सदस्य के मान से 5 किलो चावल दिया जा रहा है। दो माह का एक साथ 10 किलो चावल उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके अलावा कोविड -19 सहायता मद से भी खाद्यान्न के रूप में चावल उपलब्ध कराया गया है। इस योजना में जिनकी खाद्यान्न पर्ची नहीं है, लेकिन जरूरतमंद होने पर स्थानीय निकाय के परीक्षण के बाद उन्हें लाभ दिया जा रहा है। इसमें परिवार के प्रति सदस्य को 4 किलो गेहूं एवं 1 किलो चावल उपलब्ध कराया जा रहा है, जो एक माह की भूख मिटाने के लिए नाकाफी है।
जिले में पर्याप्त गेहूं फिर भी होशंगबाद से आवंटित हो रहा चावल-
गेहूं की पैदावार में जिला अग्रणी बना रहता है। बावजूद इसके गरीबों को केवल चावल दिया जा रहा है, जबकि जिले में गेहूं का पर्याप्त भंडारण है। नागरिकों को जिले के भंडार केन्द्रों से ही भरपूर मात्रा में गेहूं उपलब्ध कराया जा सकता था, बावजूद इसके नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा होशंगाबाद जिले से चावल का आवंटन किया जा रहा है। कई दुकानों तक तो अभी तक चावल भी नहीं पहुंचा है। इससे वहां के गरीबों को खाद्यान्न उपलब्ध नहीं हो सका है। जिले में उपलब्ध गेहूं का आवंटन गरीबों के लिए जाता तो इससे परिवहन का खर्च भी बचता। अधिकारी खाद्यान्न परिवहन के नाम पर शासन को पलीता लगा रहे हैं।
खाद्यान्न के लिए राशन दुकानों के चक्कर लगा रहे ग्रामीण-
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत नगरीय क्षेत्र में चावल वितरण के लिए अप्रेल माह में 47 हजार 750 किलो चावल आवंटित किया गया है। इसमें 40 हजार 733 किलो चावल का वितरण गरीबों को किया जा चुका है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में अभी भी जरूरतमंद राशन दुकानों के चक्कर लगा रहे हैं। जनपद पंचायत अंतर्गत 67 ग्राम पंचायत के ग्रामों के ग्रामीणों के लिए 5 लाख 19 हजार 465 किलो चावल आवंटित किया गया है, लेकिन अभी तक केवल 81 हजार 969 किलो का ही वितरण किया जा सका है। जपं सदस्य मयाराम यादव ने बताया कि वर्तमान में विकासखंड की नगावा सहित अन्य कई राशन दुकानों पर खाद्यान्नआवंटन नहीं हुआ है।
इनका कहना है-
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना एवं कोविड-19 के तहत वितरण के लिए चावल आवंटित किया गया है। आवंटन आने पर शेष दुकानों पर खाद्यान्न पहुंचा दिया जाएगा। दुकानों पर खाद्यान्न आवंटित होने के बावजूद वितरण नहीं किया जा रहा है तो इसकी जांच कराई जाएगी।
अमृता भट्ट, खाद्य आपूर्ति अधिकारी, खिरकिया
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