सेना के भर्ती विभाग के निदेशक कर्नल दीपक दयाल ने बताया कि फर्जी दस्तावेज के आधार पर सेना में भर्ती होने के दौरान पकड़े गए अभ्यर्थी उत्तर प्रदेश के थे और फर्जी कागजात के आधार पर सेना में भर्ती होने का प्रयास कर रहे थे। लेकिन सेना के अधिकारियों द्वारा बहाली प्रक्रिया में बरती जा रही सावधानी और दस्तावेजों की बारीकी से जांच किए जाने के क्रम में फर्जी अभ्यर्थी पकड़े गए। इनमें से अधिकांश अभ्यर्थियों के पास साहिबगंज जिला के पुलिस अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर और मुहर से जारी खाली चरित्र प्रमाण पत्र मिले, जिस पर अभ्यर्थी का नाम या पता नहीं लिखा था लेकिन फोटो चिपकाया गया पाया गया है। सेना भर्ती के निदेशक ने बताया कि फर्जी कागजात के अधार पर भर्ती कराने का प्रयास करने वाले सभी अभ्यर्थी झारखंड से बाहर उत्तर प्रदेश के हैं और खुद को झारखंड का दर्शाते हुए ऐसे प्रमाण पत्रों की बदौलत बहाल होने की कोशिश कर रहे थे।
सेना ने पकड़े गए अभ्यार्थियों के पास से फर्जी कागजात जब्त कर अंतिम चेतवानी देकर सभी अभ्यार्थियों को छोड़ दिया। पूछताछ के दौरान अभ्यार्थियों ने बताया कि रैकेट द्वारा उत्तर प्रदेश के युवाओं को फर्जी सर्टिफिकेट उपलब्ध कराया गया था। सूत्रों ने बताया कि अभ्यर्थी दौड़ भी पूरी कर चुके थे और शारीरिक अहर्ता से भी गुजर चुके थे, पर दस्तावेजों की जांच के बाद इन्हें पकड़ा गया। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बहाल होने की जुगत लगाए अभ्यर्थियों को किसी रैकेट ने ये चरित्र प्रमाण पत्र उपलब्ध कराया था, ऐसी बातें प्रारंभिक तौर पर स्पष्ट हुई हैं। बहरहाल इनके खिलाफ कारवाई के लिए पहल शुरू कर दी गयी है।
मालूम हो कि झारखंड की उपराजधानी दुमका में 1 से 11 अप्रैल तक चलने वाली बहाली प्रक्रिया को लेकर भारतीय सेना के भर्ती सेल द्वारा बार बार ऐसे दलालों से सावधान रहने की अपील की जा रही है। इसके बावजूद अभ्यर्थी झांसे में फंस कर पकड़े गए। अब इनके खिलाफ मामला दर्ज भी होगा और कार्रवाई भी होगी। मंगलवार को गुमला, साहिबगंज और हजारीबाग के अभ्यर्थियों को मौका मिला था।