काले सोने के लिए रातें हो रही काली
अफीम की फसल को बचाने के लिए खेतों में बनाए आशियाने
सर्द रात में जागकर किसान कर रहे है रातजगा
सुरक्षा के लिए किए जा रहे विभिन्न जतन
छोटीसादड़ी
क्षेत्र में अफीत उत्पादक किसान इन दिनों तेज सर्दी के बीच खेतों में रातजगा कर रहे है। यह किसी मन्नत या शौक के लिए नहीं बल्कि अफीम की फसल को रोजड़ों से बचाने के लिए कर रहे है।
क्षेत्र के जिन खेतों में अफीम की फसल में फूल खिलने के बाद आने वाले डोडा कुछ दिनों में दूध संग्रहण का कार्य शुरू होने वाला है। वहां किसानों ने अपने खेतों में ही आशियाना बना लिया है। वहीं किसान अपने परिवार सहित दिनभर इस फसल की रखवाली कर रहे है। किसान सर्द रात में रातभर जाग कर फसल को बचाने में जुटे है।
किसान प्रति आरी तीन हजार रुपए के हिसाब से खर्चा कर अपने खेतों के चारों ओर फसल को बचाने के लिए तारबंदी तक कर दी है। इन दिनों मौसम में आ रहे परिवर्तन के चलते इस फसल में विभिन्न रोग भी आने की आशंका बढ़ गई है।
काले सोने पर रोगों का साया
किसानों ने बताया की मौसम के उतार-चढ़ाव के दौर चलने से इस फसल को रोग से बचाने के लिए विभिन्न प्रकार के कीटनाशक के छिडक़ाव किया जा रहा है। किसानों ने बताया कि इस फसल में काली मस्सी, सफेद मस्सी, खांखरिया रोग, तना सडऩ आदि रोग आने की आशंका बन रही है।
इसके साथ ही फसल के चारों ओर रंग-बिरंगे कपड़े, ऑडियो. वीडियो को रील आदि खेत के चारों ओर लगाकर फसल को बचाने का जतन कर रहे है।
फोड़े जा रहे पटाखे
कई किसान फसल को रोजड़ों से बचाने के लिए टेप रिकॉर्डर को तेज आवाज कर तो कोई किसान पटाखे छोड़ रहे है। जिससे किसानों में खुशी छाई हुई है। रात के समय झुण्ड के रूप में नीलगायें खेतों में घुस जाती है और अफीम की फसल चट कर मदमस्त हो जाती है। फसल रौंदकर चली जाती है।
यह है तारबंदी का खर्चा
फसल की सुरक्षा के लिए लगाई जा रही तारबन्दी के लिए बाजार से मोटी रकम खर्च कर रहा है। आज भी सरकार से मेड़बंधी के लिए रियात का इंतजार कर रहा है। लोहा व्यवसाई प्रदीप व्यास ने बताया तारबन्दी के लिए 50 फीट का बंडल 3 हजार का आता है। किसान अपनी 10 आरी की फसल की सुरक्षा के लिए करीब 6 बंडल लगा सकता है। जो 18 हजार रुपए की लागत आती है। पक्षियों से सुरक्षा के लिए नेट का प्रयोग किया जाता है। जो 250 रुपए किलोग्राम से मिलती है। 10 आरी फसल को ढंकने के लिए 10 किलोग्राम नेट का प्रयोग किया जा रहा है। इसकी ढाई हजार रुपए की लागत आती है।
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