स्पॉन्डिलाइटिस एक प्रकार का गठिया रोग है। इसमें कमर से दर्द शुरू होता है और पीठ और गर्दन में अकडऩ के अलावा शरीर के निचले हिस्से जांघ, घुटना व टखनों में दर्द होता है। रीढ़ की हड्डी में अकडऩ बनी रहती है। स्पॉन्डिलाइटिस में जोड़ों में इन्फ्लेमेशन यानी सूजन और प्रदाह के कारण असहनीय पीड़ा होती है।
युवा सजग रहें…
डॉ. रथ ने बताया कि नौजवानों में स्पॉन्डिलाइटिस की शिकायत ज्यादा होती है। आमतौर पर 45 से कम उम्र के पुरुषों और महिलाओं में स्पॉन्डिलाइटिस की शिकायत रहती है। एंकिलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस गठिया का एक सामान्य प्रकार है जिसमें रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है और कशेरूक में गंभीर पीड़ा होती है जिससे बेचैनी महसूस होती है। इसमें कंधों, कुल्हों, पसलियों, एडिय़ों और हाथों व पैरों के जोड़ों में दर्द होता है। इससे आखें, फेफड़े, और हृदय भी प्रभावित होते हैं।
मुख्य लक्षण…
डॉ. रथ ने बताया, “स्पॉन्डिलाइटिस से पीडि़त लोगों को रात में नींद नहीं आती है और जोड़ों में दर्द होने से सुबह तीन-चार बजे नींद खुल जाती है और बेचैनी महसूस होती है। ” स्पॉन्डिलाइटिस मुख्य रूप से जेनेटिक म्युटेशन के कारण होता है। एचएलए-बी जीन शरीर के प्रतिरोधी तंत्र को वाइरस और बैक्टीरिया के हमले की पहचान करने में मदद करता है लेकिन जब जीन खास म्युटेशन में होता है तो उसका स्वस्थ प्रोटीन संभावित खतरों की पहचान नहीं कर पाता है और यह प्रतिरोधी क्षमता शरीर की हड्डियों और जोड़ों को निशाना बनाता है, जो स्पॉन्डिलाइटिस का कारण होता है। हालांकि अब तक इसके सही कारणों का पता नहीं चल पाया है।
तुरंत चेकअप करवाएं…
जब जोड़ों में दर्द की शिकायत हो, तो उसकी तुरंत जांच करवानी चाहिए, क्योंकि इससे उम्र बढऩे पर और तकलीफ बढ़ती है। एचएलए-बी 27 जांच करवाने से स्पॉन्डिलाइटिस का पता चलता है। एचएलए-बी 27 एक प्रकार का जीन है जिसका पता खून की जांच से चलता है। इसमें खून का सैंपल लेकर लैब में जांच की जाती है। इसके अलावा एमआरआई से भी स्पॉन्डिलाइटिस का पता चलता है।
फीजियोथेरेपी बेहतर विकल्प…
स्पॉन्डिलाइटिस का पता चलने पर इसका इलाज आसान हो जाता है। ज्यादातार मामलों का इलाज दवाई और फिजियोथेरेपी से हो जाता है। कुछ ही गंभीर व दुर्लभ मामलों में सर्जरी की जरूरत पड़ती है। लेकिन इन सबमें फीजियोथेरेपी बेस्ट ऑप्शन है।
स्पॉन्डिलाइटिस एक गंभीर रोग
डॉ. रथ ने कहते हैं कि इसपर अभी बहुत कम रिसर्च हुआ है। भारत में आयुर्वेद और एलोपेथिक पद्धति के बीच समन्वय से अगर इसपर रिसर्च हो, तो इसके निदान में लाभ मिल सकता है, क्योंकि बदली हुई लाइफ स्टाइल के चलते स्पॉन्डिलाइटिस एक गंभीर रोग बनकर उभरा है।