लक्षण विशेषकर हाथ व पैर पर दर्दभरे लाल निशान के अलावा त्वचा पर फफोले पडऩे या अल्सर की शिकायत भी हो सकती है। इसके अलावा स्किन पर सूजन व जलन के साथ त्वचा के रंग में बदलाव होकर प्रभावित हिस्से का काला पडऩा लक्षण है।
कारण ज्यादातर मामलों में कारण अज्ञात हैं। लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार शरीर के तापमान में अचानक बदलाव से ऐसा होता है। हाथ-पैर का तापमान घटने पर त्वचा के नीचे मौजूद नसें जब बार-बार ठंडे तापमान के संपर्क में आती हैं तो सिकुडऩे लगती हैं जिनमें रक्तसंचार बाधित हो जाता है। टाइट कपड़े पहनने, रक्तसंचार की प्रक्रिया बाधित होने व जिन्हें रेनॉड्स (थोड़े से तापमान व वातावरण में बदलाव पर त्वचा के रंग में अंतर आना) बीमारी हो, को भी आशंका रहती है।
इलाज सामान्यत: ठंडे वातावरण से दूरी बनने पर 5-6 घंटे बाद दिक्कत सामान्य हो जाती है। लेकिन एक-दो हफ्ते तक परेशानी बनी रहे तो स्थिति गंभीर होकर संक्रमण का कारण बन सकती है। मरीज को प्रभावित हिस्से पर क्रीम लगाने और ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने की दवाएं देकर बंद रक्तनलिकाओं को खोला जाता है।
डॉ. आर. एल. मीणा, सीनियर प्रोफेसर व एचओडी, मेडिसिन विभाग, आरएनटी मेडिकल कॉलेज, उदयपुर