यह है अरोमाथैरेपी अरोमा का अर्थ है खुशबू व थैरेपी का मतलब है उपचार। यानी खुशबू की मदद से इलाज। यह एक औषधिय उपचार की प्रक्रिया है जिसमें कई पौधों से अहम तत्त्व निकालकर उसका प्रयोग रोगों के इलाज में होता है। इस थैरेपी में कई तरह के तेल, पानी की भाप, कुछ सुगंधित मिश्रण आदि का इस्तेमाल मालिश और नहाने के लिए किया जाता है। थैरेपी के दौरान शरीर पर मौजूद एक्यूप्रेशर बिंदुओं की बाहरी रूप से मसाज की जाती है। जिससे शरीर को आराम मिलता है।
गुलाब गुलाब की खुशबू से पित्त दोष में शांति मिलती है। इसकी महक से तनाव के अलावा पाचन से जुड़ी समस्या में आराम मिलता है। महिला को होने वाली दिक्कतों में गुलाब की महक कारगर है। साथ ही गुलाब रक्तसंचार, हृदय और सांस संबंधी रोग जैसे अस्थमा में राहत देता है। ध्यान रखें : गर्भवती महिलाएं गुलाब की खुशबू न लें। गर्भाशय सिकुडऩे की आशंका बनी रहती है।
चंदन इसकी खुशबू वाले उत्पादों के प्रयोग से पेशाब में जलन और रुकावट में आराम होता है। इसके अलावा सीने में दर्द, तनाव आदि के लिए भी यह कारगर है। अरोमाथैरेपी में चंदन के तेल की मालिश से शरीर की सूजन दूर होती है। यह त्वचा का रूखापन कम कर नमी बढ़ाता है। आध्यात्मिक रूप से इसके कई फायदे हैं। ध्यान व योग के दौरान चंदन की खुशबू एकाग्रक्षमता बढ़ाती है।
चमेली-यूकेलिप्टस इन दोनों की खुशबू जुकाम, कफ की समस्या, बंद नाक, सीने की जकडऩ में राहत पहुंचाती है। मार्केट में मिलने वाले ज्यादातर बाम और मलहम में इनका इस्तेमाल होता है। इसकी खुशबू सिर व दांतदर्द और गंभीर तनाव को दूर करती है। गर्भवती महिलाएं चमेली की महक से दूर रहें।
नींबू नींबू की महक दिमाग की उथल-पुथल को शांत करके मानसिक कार्यक्षमता को बढ़ाती है। इसके अलावा नींबू की खुशबू को एकाग्रक्षमता बढ़ाने के अलावा आर्थराइटिस, मुहांसों को दूर करने व पाचनक्षमता दुरुस्त करने में प्रयोग में लेते हैं। सिरदर्द से राहत पाने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए भी नींबू की महक मददगार हो सकती है।