डायबिटीक फुट की आशंका इस लिए बढ़ जाती है मानसून में
बरसात में नमी और उमस से डायबिटिक फुट की आशंका बढ़ जाती है। नंगे पैर चलने से कटने से घाव होने का भी डर रहता है। जानते हैं इससे कैसे बचाव किया जा सकता है।
क्या डायबिटिक फुट
डायबिटीज का असर कई अंगों पर पड़ता है। जब पैरों पर पड़ता है तो वहां के सेल्स नष्ट होते हैं। पैरों में घाव या छाले हो जाते हैं। ध्यान न देने पर अल्सर हो जाता है। डायबिटीज के लगभग 10त्न मरीजों को ऐसी समस्या एक बार जरूर होती है। समय पर इलाज न होने से पैर काटना पड़ता है। डायबिटीज है तो नियंत्रित रखें।
पैरों को सूखा रखें
पैरों में कम चिकनाई वाली नसें होती हैं। इसलिए उसमें जल्दी दरारे पड़ जाती हैं। इससे नमी होने पर संक्रमण की आशंका रहती है। इसलिए नमी-उमस से बचाव करें। रोज पैरों को अच्छे से पोछ कर मोइश्चराइजर क्रीम लगाएं। डायबिटीज के मरीज सुबह नंगे पैर घासों पर चलते हैं। यह न करें। नंगे पैर चलने से कटने या कुछ चुभने की आशंका रहती है।
खुले जूते पहनें
बंद जूते न पहनें। इनमें पसीना ज्यादा होता या बारिश का पानी अंदर रहने से फंगल इंफेक्शन हो सकता है। फ्लोटर्स, फ्लिप फ्लोप या सैंडलनुमा खुले वॉटरप्रूफ जूते पहनें। जूते अच्छी फिटिंग के ही हो। जुराब बदलते रहें। बारिश में भींगने पर एंटीसेप्टिक लोशन मिलाकर पैरों को धोएं। जिनको डायबिटीक फुट हो गया है वे पैरों को गीला न होने दें। उस पैर को आराम दें।
डॉ. बलराम शर्मा, वरिष्ठ हार्मोन रोग विशेषज्ञ, जयपुर
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