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स्वास्थ्य

खाओ कम, घूमो मस्त! उपवास का जादू, कम होगा पेट, तेज चलेगा दिमाग

मोटापे की समस्या से निपटने के लिए वैज्ञानिकों ने एक बड़ी खोज की है! यह खोज बताती है कि थोड़े-थोड़े समय के लिए उपवास करने (इंटरमिटेंट फास्टिंग) से दिमाग और पेट दोनों में महत्वपूर्ण बदलाव होते हैं, जिससे वजन कम करने में मदद मिल सकती है।

Dec 28, 2023 / 05:47 pm

Manoj Kumar

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A machine-learning algorithm traced the paths of neurons and other cells

मोटापे की समस्या से निपटने के लिए वैज्ञानिकों ने एक बड़ी खोज की है! यह खोज बताती है कि थोड़े-थोड़े समय के लिए उपवास करने (इंटरमिटेंट फास्टिंग) से दिमाग और पेट दोनों में महत्वपूर्ण बदलाव होते हैं, जिससे वजन कम करने में मदद मिल सकती है।
चीन के वैज्ञानिकों ने 62 दिनों तक 25 मोटे लोगों पर शोध किया। इन लोगों ने एक विशेष प्रकार का उपवास किया, जिसमें कुछ दिनों तक कम कैलोरी लेते थे और कुछ दिनों तक बिल्कुल खाना नहीं खाते थे।
इस शोध के दौरान ना सिर्फ इन लोगों का वजन कम हुआ (औसतन 7.6 किलो या शरीर के वजन का 7.8%), बल्कि उनके दिमाग के उन हिस्सों में भी बदलाव देखे गए जो खाने की लालसा और मोटापे से जुड़े होते हैं। साथ ही, उनके पेट के बैक्टीरिया में भी बदलाव आया।
शोधकर्ता बताते हैं कि अब यह साफ नहीं है कि ये बदलाव कैसे होते हैं, या पेट दिमाग को प्रभावित करता है या दिमाग पेट को। लेकिन यह जरूर पता है कि पेट और दिमाग का गहरा संबंध है। इसलिए दिमाग के कुछ हिस्सों का इलाज करके भूख और वजन को नियंत्रित किया जा सकता है।
एमआरआई स्कैन के जरिए वैज्ञानिकों ने दिमाग की गतिविधियों में बदलाव देखे। ये बदलाव उन हिस्सों में हुए, जो खाने की लालसा और व्यसन को नियंत्रित करते हैं। साथ ही, पेट के बैक्टीरिया में भी बदलाव दिमाग के कुछ खास हिस्सों से जुड़े हुए थे।
उदाहरण के लिए, कोप्रोकोकस और यूबैक्टीरियम हॉलिई नाम के बैक्टीरिया दिमाग के बाएं निचले फ्रंटल ऑर्बिटल गाइरस में गतिविधि कम करते हैं। यह हिस्सा निर्णय लेने और खाने की इच्छा को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
चीन के एक और वैज्ञानिक का कहना है कि पेट के बैक्टीरिया और दिमाग के बीच जटिल संवाद होता है। बैक्टीरिया न्यूरोट्रांसमीटर और न्यूरोटॉक्सिन बनाते हैं, जो नसों और रक्त के जरिए दिमाग तक पहुंचते हैं। वहीं दिमाग खाने के व्यवहार को नियंत्रित करता है, और हमारे खाने का पोषण पेट के बैक्टीरिया को बदलता है।
दुनिया भर में एक अरब से ज्यादा लोग मोटे हैं, जिससे कैंसर से लेकर हृदय रोग तक कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। दिमाग और पेट के इस संबंध को समझने से मोटापे की रोकथाम और वजन कम करने में बहुत मदद मिल सकती है।
अब अगला सवाल यह है कि मोटे लोगों में पेट के बैक्टीरिया और दिमाग कैसे बात करते हैं, खासकर वजन कम करते समय? साथ ही, यह जानना जरूरी है कि वजन कम करने और उसे बनाए रखने के लिए शरीर के कौन से बैक्टीरिया और दिमाग के हिस्से सबसे महत्वपूर्ण हैं?
यह शोध फ्रंटियर्स इन सेल्यूलर एंड इंफेक्शन माइक्रोबायोलॉजी नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

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