रिसर्च में पाया गया है कि पॉलीअनसैचुरेटेड फैट और मोनोअनसैचुरेटेड फैट कोलेस्ट्रोल को बहुत कम कर देता है। इससे हार्ट डिजीज का जोखिम बहुत कम हो जाता है। अध्ययन में पाया गया कि दो महीने तक 40 ग्राम तिल का रोजाना सेवन करने से बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर बहुत कम हो गया।
रिपोर्ट के मुताबिक तिल में एंटीऑक्सिडेंट पाया जाता है जो कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकता है। खास तौर पर यह लंग कैंसर पेट का कैंसर ल्यूकेमिया आदि में कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने में फायदेमंद है।
तिल में कैल्शियम, मैग्नीशियम, मैंग्नीज और जिंक प्रचूर मात्रा में पाया जाता है जो बोन को मजबूत करने में सहायक है। तिल में डाइट्री प्रोटीन और एमिनो एसिड मौजूद होता है। इससे मांसपेशियां मजबूत होती है।
तिल एंटी-इंफ्लामेटरी होता है. यानी तिल में सूजन कम करने की क्षमता होती है। लंबे समय तक कोशिकाओं के अंदर सूजन मोटापा और कैंसर के जोखिम को बढ़ाती है। इस कारण शरीर की कोशिकाओं को सूजन के खतरे से बचाने में तिल की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
तिल स्किन के लिए भी बहुत फायदेमंद है। यह स्किन के लिए जरूरी पोषण प्रदान करता है। तिल कुदरती रूप से स्कैल्प के नीचे से तेल को बनाने में मदद करता है जिससे बाल हेल्दी और शाइनी बने रहते हैं। इससे स्किन की झुर्रिया खत्म होती है।
तिल में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स तनाव करने में भी मददगार है. तिल तनाव और डिप्रेशन को कम करने में सहायक होते हैं। 7. पेट के लिए अच्छा
तिल में पाई जाने वाली फाइबर की प्रचुर मात्रा पेट और आंतों को साफ करने में बहुत हेल्प करते है। फाइबर वे तत्व होते है जो आंतों की क्रियाशीलता बढ़ाते है। इससे कब्ज से तो बचाव होती ही है साथ ही इसका प्रभाव दस्त को रोकने पर भी होता है। तिल के लाभदायक मिनरल तत्व आंतों को हेल्दी बनाते हैं। इसके अतिरिक्त आंतों में होने वाली कई प्रकार की बीमारियों को दूर करते हैं।
हमें भूख लगने के लिए नामक हार्मोन जिम्मेदार होता है। तिल के विशेष तत्व इस हार्मोन में कमी लाते है। भूख नहीं लगना वजन कम करने में बहुत मदद करता है। इसकी अतिरिक्त तिल के कुछ विशेष तत्व के कारण बॉडी में फैट कम होता है। ये तत्व मेटाबोलिज्म को सुधारते है और लीवर की फैट को जलाने की शक्ति को बढ़ा देते है।