जब नसों में क्लॉटिंग हो जाती है तो खून दिल तक पहुंचने में असमर्थ होता है। जिसके कारण दिल को ऑक्सीजन मिलना बंद हो जाती है और हार्ट अटैक की स्थिति आ जाती है। हार्ट अटैक को मायोकार्डियल इन्फ़्रैक्शन भी कहा जाता है। यह अटैक किसी भी व्यक्ति के लिए जानलेवा होता है लेकिन यदि तुरंत उपचार मिल जाए तो व्यक्ति को बचाया जा सकता है।
स्ट्रेस की स्थिति में शरीर अड्रेनलिन हॉर्मोन्स रिलीज करता है इससे सांस की रफ्तार से लेकर हार्ट रेट तक बढ़ जाती है। साथ ही में ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है। इस स्थिति में शरीर कॉर्टिसॉल नाम का हॉर्मोन भी रिलीज करता है ताकि स्ट्रेस से निपटा जा सके। लगातार स्ट्रेस के कारण अड्रेनलिन और कॉर्टिसॉल का बार-बार ज्यादा रिलीज होना ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल आदि को बुरी तरह प्रभावित करता है, इससे दिल में पंप होने वाले खून व उसे पहुंचने वाली ऑक्सिजन की मात्रा प्रभावित होती है। इस दबाव के पड़ने से दिल की नर्व्स या तो बहुत ढीली पड़ जाती हैं या फिर कड़क हो जाती हैं जिससे हार्ट अटैक और हार्ट फेलियर हो सकता है।