भारत में प्रैक्टिस के लिए लाइसेंस का इंतजार कर रहे ऐसे 20 हजार से ज्यादा युवा एमबीबीएस हैं। भारत में प्रैक्टिस करने के लिए इन्हें भारतीय मेडिकल परिषद की स्क्रीनिंग परीक्षा पास करनी होती है। ऐसे छात्रों की ओर से प्रधानमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री के नाम शुरू की गई ऑनलाइन पेटीशन में अनुरोध किया गया है कि इन्हें स्क्रीनिंग परीक्षा में 40 प्रतिशत अंक आने पर पास मान लिया जाए। इस पर अब तक 1838 हस्ताक्षर किए जा चुके हैं।
इसी तरह ऑल इंडिया फॉरन मेडिकल ग्रेजुएट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट नजिरुल अमीन कहते हैं कि कोरोना संकट को देखते हुए बहुत से देशों ने डॉक्टरी की प्रैक्टिस के लिए बहुत सी शर्तें हटा दी हैं। भारत में भी तुरंत इनकी सेवा लेने की व्यवस्था की जानी चाहिए। ऐसे ही एक डॉक्टर मनीष सिंह कहते हैं कि ये छात्र सरकार के तय नियमों के अनुरूप ही अपने संसाधनों से विदेश गए और समय व प्रयास के बाद वहां से योग्यता हासिल की। अगर इन्हें मौका दिया गया तो देश को तुरंत 20 हजार डॉक्टर और 3 हजार स्पेशलिस्ट मिल सकेंगे। अभी ना सिर्फ कोरोना के मरीजों को बल्कि दूसरी बीमारियों के रोगियों को भी डॉक्टरी देख-भाल की जरूरत है।
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देशी मेडिकल कॉलेजों से डिग्री हासिल कर चुके इन युवाओं को तात्कालिक अनुमति दी जा सकती है जिसके तहत ये सरकारी या निजी अस्पतालों में अनुभवी डॉक्टरों की निगरानी में काम कर सकें। ऐसा हुआ तो ये अगले दो सप्ताह में काफी लाभ पहुंचा सकते हैं।
– डॉ. देवी शेट्टी, नारायण हृदयालय के संस्थापक