वॉयस ऑफ टोबैको विक्टिम्स के स्टेट पैट्रॉन व एसएमएस अस्पताल के ईएनटी विशेषज्ञ डॉ.पवन सिंहल के अनुसार 30 साल पहले तक 60-70 साल की उम्र में मुंह-गले का कैंसर का कैंसर होता था। अब यह उम्र घटकर 30-50 साल रह गई। अब 20-25 से कम उम्र के युवाओं में दोनों तरह का कैंसर देखा जा रहा है। इसका बड़ा कारण हमारी सभ्यता का पश्चिमीकरण व युवाओं में धूम्रपान का तेजी से बढ़ता प्रचलन है। मुंह के कैंसर के रोगियों की सर्वाधिक संख्या भारत में है।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की ओर से 2008 में प्रकाशित अनुमान के मुताबिक भारत में मुंह व गले के कैंसर के मामलों में वृद्वि देखी जा रही है। कैंसर के इन मामलों में 9० फीसदी तंबाकू, मदिरा व सुपारी खाने से होते हैं। वॉयस ऑफ टोबैको विक्टिम्स व इंडियन आस्थमा केयर सेासायटी के धर्मवीर कटेवा ने बताया कि गुटखे पर लगभग पूरे देश में प्रतिबंध लग गया है।
वहीं, 13 राज्यों ने उत्पादित सुगंधयुक्त चबाने वाला तंबाकू निषेध कर दिया है। फैक्ट फाइल – दुनिया में सबसे ज्यादा मुह के कैंसर रोगी भारत में – भारत में पूरी दुनिया की तुलना में चबाने वाले तंबाकू उत्पाद (जर्दा, गुटखा, खैनी,) का सेवन सर्वाधिक
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान (आईसीएमआर) की रिपोर्ट पुरुषों में 50 फीसदी और महिलाओं में 25 फीसदी कैंसर की वजह तम्बाकू है। इनमें से 60 फीसदी लोगों को मुंह का कैंसर होता है। धुआंरहित तंबाकू में 3000 से अधिक रासायनिक यौगिक होते हैं, इनमें से 29 रसायन कैंसर पैदा कर सकते हैं।
यूं बढ़ा कैंसर का ग्राफ एशियन पेसिफिक जर्नल ऑफ कैंसर प्रिवेंशन 2008 व 2016 में प्रकाशित शोध पत्र के अनुसार प्रथम आंकड़ा 2008 और द्वितीय 2016 का है पुरुषों में मुंह कैंसर 2008 में 42725 वहीं 2016 में 65205
महिलाओं में मुंह कैंसर 22080 व 35088 गले व श्वांस नली पुरुष 49331, 75901, महिलाएं 9251,14550 भोजन नली पुरुष : 24936 व 38536 महिलाएं : 17511 व 28165 अमाशय पुरुष : 20537 व 31538
महिलाएं : 11162 व 17699 फेफड़े पुरुष : 39262 व 60730 महिलाएं : 9525 व 15191 स्तन कैंसर महिलाएं 89914 व 140975 गर्भाशय कैंसर महिलाएं 79827 व 125821 अन्य कैंसर पुरुष : 214967 व 315840
महिलाएं : 166629 व 252410