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स्वास्थ्य

अब अस्थमा में साथ नहीं रखना पड़ेगा इन्हेलर

अब ऎसी दवाएं आ गई हैं जिन्हें प्रयोग में लेने के लिए इन्हेलर को दिन में एक ही बार इस्तेमाल करना पड़ता है

May 05, 2015 / 05:20 pm

दिव्या सिंघल

asthma

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अस्थमा के लिए चिकित्सा विशेषज्ञ आए दिन कई प्रकार की नई दवाओं की खोज करते रहते हैं। वर्तमान मे उपयोग में ली जा रही स्टेयरॉइड्स दवाएं बीमारी के इलाज में कारगर तो हैं लेकिन इनसे कई प्रकार के दुष्प्रभाव जैसे नींद अधिक आना, हाथों में कंपन, पेट में अल्सर, मुंह पर सूजन और चेहरे पर बाल जैसे लक्षण होने लगते हैं। इन्हीं परेशानियों से रोगियों को निजात दिलाने के लिए मेडिकल जगत ने इलाज के नए तरीके खोजे हैं।

इन्हेलर थैरेपी
फिलहाल जो इन्हेलर मार्केट में उपलब्ध हैं उन्हें मरीज को हमेशा अपने साथ रखना होता है। लेकिन अब ऎसी दवाएं आ गई हैं जिन्हें प्रयोग में लेने के लिए इन्हेलर को दिन में केवल एक ही बार इस्तेमाल करना पड़ता है जैसे साइक्लोफिनाइड, फॉर्मेटिरॉल और फ्लूटिकासौन दवाएं। इन दवाओं का असर 24 घंटे तक फेफड़ों में रहता है। इससे इन्हेलर साथ में न होने पर अटैक का खतरा कम होता है।

जिन लोगों को गंभीर रूप से अस्थमा की बीमारी होती है उनके लिए भी नई इन्हेलर थैरेपी मार्केट में आ गई है। यह थैरेपी आमतौर पर सभी अस्पतालों में उपलब्ध है। इसका खर्च 10-15 रूपए प्रति डोज आता है। इस थैरेपी को विशेषज्ञ मरीज की जांच के बाद ही इस्तेमाल में लेने की सलाह देते हैं।

खिलाडियों के लिए
जो लोग “एक्सरसाइज इन्ड्यूस्ड अस्थमा” से ग्रसित हैं यानी ऎसे कर्मचारी या खिलाड़ी जिन्हें काम या खेल के दौरान सांस फूलने की समस्या है उनके लिए “सिरेटो डस्ट” नामक एक नई दवा तैयार की गई है जो काफी लाभदायक है। साथ ही एलर्जिक अस्थमा वाले रोगियों के लिए नए कॉम्बिनेशन से तैयार दवाएं भी काफी प्रभावी हैं।

डॉ. नरेंद्र खिप्पल, एसोसिएट प्रोफेसर,
अस्थमा रोग विशेषज्ञ, एसएमएस अस्पताल

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