scriptHealth Alert: क्या है ये ‘स्क्रब टाइफस’ बीमारी, सिर दर्द और बुखार से हो रही मौत, दो साल में 50 लोगों ने गंवाई जिंदगी | What is this 'Scrub Typhus' disease, 50 people died in two years, 200 more patients found | Patrika News
रायपुर

Health Alert: क्या है ये ‘स्क्रब टाइफस’ बीमारी, सिर दर्द और बुखार से हो रही मौत, दो साल में 50 लोगों ने गंवाई जिंदगी

रिसर्च करने वाल पीजी छात्र को खुद से किट खरीदकर बीमारी की जांच करवानी पड़ी। प्रदेश में पिछले दो साल में इस बीमारी के 200 से ज्यादा मरीज मिल चुके हैं और इनमें 50 से ज्यादा मरीजों की मौत भी हो चुकी है।

रायपुरApr 29, 2024 / 10:53 am

Kanakdurga jha

Chhattisgarh Health Alert: स्क्रब टाइफस वैसे तो नई बीमारी नहीं है, लेकिन पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में जब इस बीमारी पर रिसर्च की गई तो डॉक्टर (गाइड) भी कहते पाए गए कि इसके कोई मरीज नहीं है तो रिसर्च का क्या मतलब? पीजी स्टूडेंट ने डेढ़ साल तक इस पर रिसर्च की। इस दौरान 31 मरीज मिले और इनमें 14 मरीजों की मौत भी हो गई। ये बीमारी की भयावहता नहीं है, बल्कि इस बीमारी की जांच की सुविधा ही नहीं है। इस कारण रिसर्च करने वाल पीजी छात्र को खुद से किट खरीदकर बीमारी की जांच करवानी पड़ी। प्रदेश में पिछले दो साल में इस बीमारी के 200 से ज्यादा मरीज मिल चुके हैं और इनमें 50 से ज्यादा मरीजों की मौत भी हो चुकी है।
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स्क्रब टाइफस के लक्षण टायफाइड बीमारी की तरह होता है। 2021-22 में मेडिसिन विभाग में पीजी के छात्र डॉ. शाहबाज खांडा ने इस बीमारी पर रिसर्च की। जब उन्होंने इस बीमारी का टॉपिक सुझाया तो गाइड भी आश्चर्यचकित थे, क्योंकि इस बीमारी की पहचान के लिए ब्लड जांच की सुविधा नहीं थी। रिसर्च शुरू हुई और 5 दिन से ज्यादा बुखार वाले मरीजों की जब जांच कराई गई तो डेढ़ साल में 31 मरीज मिल गए। दुर्भाग्यजनक बात ये रही कि ये ज्यादातर मरीज बस्तर, सरगुजा, राजनांदगांव जैसे इलाकों से पहुंचे थे और गंभीर थे। इसलिए इनमें 14 की मौत हो गई। डॉ. शाहबाज इन दिनों पीजी पास होने के बाद जांजगीर-चांपा के जिला अस्पताल में सेवाएं दे रहे हैं। वहां पिछले 6 माह में 28 मरीज की पहचान की। जल्दी बीमारी का पता लगने के कारण समय पर इलाज हुआ और इनमें सभी मरीज बच भी गए।


ये बीमारी फेफड़े, ब्रेन, लीवर किडनी को करता है संक्रमित

स्क्रब टाइफस बीमारी फेफड़े, ब्रेन, लीवर व किडनी को संक्रमित करता है। इसलिए जब तक इस बीमारी की जांच नहीं होती, तब तक इसे निमोनिया, पीलिया या मेंजानाइटिस समझकर इलाज किया जाता है। इस कारण कई मरीज इलाज के बाद भी ठीक नहीं होते। डॉक्टरों का कहना है कि इस बीमारी के लिए रैपिड व एलाइजा जांच की जाती है। एलाइजा से बीमारी की पुष्टि होती है। समय पर इलाज नहीं होने से ये बीमारी मल्टी ऑर्गन फेल कर देती है। इससे मरीज की मौत भी हाे सकती है। कई बार इसे रहस्यमयी बुखार भी कहा जाता है। कुछ मरीज कोमा में भी चले जाते हैं।
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बैक्टीरिया से फैलती है ये बीमारी

स्क्रब टाइफस को बुश टाइफस भी कहते हैं। ये बीमारी ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी नामक बैक्टीरिया से होता है। ये कीड़े की तरह होता है और खासकर पहाड़ी व जंगली इलाकों में पाया जाता है। खेतों में भी कहीं-कहीं ये कीड़े मिलते हैं। ऐसे में इसके मरीज पहाड़ी क्षेत्र या ग्रामीण इलाके के ज्यादा होते हैं। अमरीकन बुक में कहा गया है कि इस बीमारी के काटने से काले निशान पड़ते हैं। हालांकि रिसर्च करने वाले डॉक्टर का कहना है कि चूंकि भारतीयों की स्किन एकदम गोरी नहीं होती इसलिए काले निशान नहीं दिखते। छत्तीसगढ़ में भी केवल 10 फीसदी मरीजों में काले निशान दिखे।


बीमारी के लक्षण

  • पांच दिनों से ज्यादा बुखार
  • सिरदर्द
  • शरीर व मांसपेशियों में दर्द
  • शरीर पर काटने के काले निशान
  • स्पीलिन बढ़ जाना
  • मानसिक परिवर्तन, भ्रम होना
  • मल्टी ऑर्गन फेल हो जाना

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