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स्वास्थ्य

बच्चों की पीठ में दर्द बढ़ा, स्कूल बैग का वजन कितना होना चाहिए?

आजकल पीठ दर्द एक आम समस्या बन गई है, खासकर बच्चों में. टेक्नोलॉजी के दौर में कम व्यायाम, गलत बैठने की आदत और लंबे समय तक बैठे रहने से यह परेशानी और बढ़ गई है.

Jan 04, 2024 / 02:51 pm

Manoj Kumar

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Schoolbags Causing Back Pain Epidemic in Kids – How Much is Too Much?

आजकल पीठ दर्द एक आम समस्या बन गई है, खासकर बच्चों में. टेक्नोलॉजी के दौर में कम व्यायाम, गलत बैठने की आदत और लंबे समय तक बैठे रहने से यह परेशानी और बढ़ गई है.
पहले लोग सोचते थे कि पीठ दर्द तो बड़ों को ही होता है, लेकिन अब छोटे बच्चों में भी ये शिकायत तेजी से बढ़ रही है. फोर्टिस अस्पताल, वाशी के हड्डी रोग और रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ. प्रमोद भोर कहते हैं, “बच्चों की पीठ में दर्द सिर्फ रीढ़ की हड्डी की समस्याओं से ही नहीं होता, बल्कि गलत बैग उठाना, क्लास में या घर पर गलत बैठना और फोन या टैबलेट पर नीचे की ओर देखते रहना भी इसका कारण बन सकता है.”
स्टैनफोर्ड मेडिसिन चिल्ड्रन हेल्थ के मुताबिक, बच्चों के बैग का वजन उनके शरीर के वजन का 15% से ज्यादा नहीं होना चाहिए. डॉ. भोर ने ये भी बताया कि बच्चों को उम्र के हिसाब से कितना वजन उठाना चाहिए.
पहली और दूसरी कक्षा के बच्चे 1.5 से 2 किलो तक का बैग उठा सकते हैं.
तीसरी से पांचवी कक्षा के बच्चे 2 से 3 किलो तक का बैग उठा सकते हैं.
छठी से आठवीं कक्षा के बच्चे 3 से 4 किलो तक का बैग उठा सकते हैं.
नौवीं और दसवीं कक्षा के बच्चे 5 किलो तक का बैग उठा सकते हैं, लेकिन याद रखें कि जितना कम वजन होगा, उनके ठीक से बढ़ने की उतनी ही ज्यादा संभावना है.
बैग का वजन सही रखने के अलावा, उसे चुनना भी उतना ही जरूरी है. मेडिकवर अस्पताल, नवी मुंबई के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. नीतीश अरोड़ा कहते हैं, “बैग में दो पट्टियां होनी चाहिए और बच्चों को दोनों पट्टियों को आराम से पहनना चाहिए ताकि वजन दोनों कंधों पर समान रूप से बंटे. बैग कमर के नीचे नहीं लटकना चाहिए.”
एक तरफ से भारी बैग पहनने से बच्चों की रीढ़ में टेढ़ापन या स्कोलियोसिस नहीं होगा, लेकिन उस तरफ की मांसपेशियों में खिंचाव आएगा. डॉ. अरोड़ा कहते हैं, “शरीर के एक तरफ का ज्यादा इस्तेमाल करने से मांसपेशियों में थकान और असुविधा हो सकती है, इसलिए बैग को हमेशा दोनों तरफ से इस्तेमाल करना चाहिए.”
डॉ. भोर का कहना है कि पीठ दर्द कम करने और बच्चों की रीढ़ को सीधा रखने के लिए सही मुद्रा में बैठना भी जरूरी है. “बच्चों को घर पर डेस्क पर बैठते समय या फोन या टैबलेट का उपयोग करते समय अच्छी मुद्रा अपनाने के लिए प्रेरित करें. माता-पिता अपने बच्चे के डॉक्टर से विटामिन डी और कैल्शियम सप्लीमेंट्स के बारे में भी सलाह ले सकते हैं, खासकर सर्दियों के दौरान जब सूरज की रोशनी कम होती है या अगर उनका बच्चा इनडोर खेलों में भाग लेता है.”
पीठ दर्द को बार-बार होने से रोकने के लिए विशेषज्ञों का सुझाव है कि माता-पिता अपने बच्चों के लिए जीवनशैली में बदलाव लाएं और उन्हें ज्यादा शारीरिक गतिविधि करने के लिए प्रोत्साहित करें.

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