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स्वास्थ्य

गांवों की स्वास्थ्य सुविधा इससे होगी बेहतर

तमाम प्रयासों और दावों के बावजूद देश के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर नहीं हो सकी हैं।

Sep 26, 2018 / 12:10 pm

अमनप्रीत कौर

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तमाम प्रयासों और दावों के बावजूद देश के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर नहीं हो सकी हैं। डॉक्टर, नर्स सहित आधारभूत संसाधन की कमी का रोना जारी है। ऐसे में अपने स्वास्थ्य की डोर अपने हाथों में थामने की मुहिम लेकर अपने -अपने क्षेत्र में मुकाम हासिल कर चुके कुछ युवा सामने आए हैं।
क्लिनीवेंटेज हेल्थ केयर स्टार्टअप और इसके सूत्रधार नीलेश जैन, डॉ. अभय चोपड़ा और दिनेश सामुद्र का दावा है कि मौजूदा संसाधन में ही देश के ग्रामीण क्षेत्र की स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बना देंगे। यह एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जिससे न केवल डॉक्टर, बल्कि मेडिकल इंश्योरेंस कंपनियों की टीपीए, सर्विस प्रोवाइडर और मरीज भी जुड़े हैं। भारत और यूएस समेत छह देशों में यह काम कर रहा है। क्लिनीवेंटेज का ‘माई लाइफ’ नाम का ऐप भी है।
नीलेश कहते हैं, महाराष्ट्र के सुदूर ग्रामीण इलाकों में मौजूदा संसाधनों से ही आशा वर्करों के साथ स्वास्थ्य की अलख जगाने वाला यह डिजिटल प्लेटफॉर्म कम समय में ही सरकार को अपने कामों से प्रभावित कर चुका है। ये पूरे देश में अपनी सुविधाएं देने के लिए कमर कसे हुए है। देश के दो बड़े राज्यों राजस्थान व उत्तर प्रदेश के गांवों को जल्द ही इसका लाभ मिलेगा। यह टेलीमेडिसिन से कहीं आगे की कड़ी है। टेलीमेडिसिन में वेब कैम के जरिए डॉक्टर का परामर्श तो मिल जाता है, लेकिन इलाज करने वाले डॉक्टर को मरीज के बारे में पहले से कुछ पता नहीं होता। क्लिनीवेंटेज प्लेटफॉर्म पर मरीज की पूरी जानकारी उपलब्ध होती है।
मरीज की पूरी मेडिकल रिपोर्ट, ब्लड ग्रुप, ईसीजी, सीटी स्कैन रिपोर्ट, ग्लूकोज लेवल, हार्ट रेट, टेम्प्रेचर, मेडिकल हिस्ट्री और सभी जानकारी, जो इलाज से पहले डॉक्टर को पता होनी चाहिए, उपलब्ध होती है। ग्रामीण इलाकों के भोले-भाले लोगों के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म ज्यादा उपयोगी है। क्योंकि डॉक्टर तक पहुंचने पर कई बार ग्रामीण मेडिकल की तकनीकी भाषा नहीं समझ पाते हैं, इसलिए पूरी समस्या नहीं बता पाते। डिजिटल प्लेटफॉर्म पर डॉक्टर को बिना बताए भी मरीज की सारी जानकारी मिल जाती है। मरीज का आधारकार्ड नंबर दर्ज करते ही मेडिकल संबंधी जानकारी उपलब्ध हो जाती है।
स्मार्ट फोन सुदूर इलाकों में भी लोगों की पहुंच में हैं। जिनके पास नहीं है, उन्हें एसएमएस सर्विस द्वारा योजना से जोड़ा जा सकता। इस प्लेटफॉर्म से स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में पारदर्शिता बढ़ती है। पैसा कहां खर्च हो रहा है, पता रहता है। मरीज, हॉस्पिटल और टीपीए कंपनी के बीच भी किसी संशय की आशंका दूर होती है।

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