खुद से बातें करना: एक सामान्य व्यवहार या चिंता का संकेत? Talking to yourself: A normal behavior or a sign of anxiety?
हमारे समाज में, खुद से बातें करना अक्सर असामान्य या अजीब समझा जाता है। लेकिन मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, खुद से बात करना हमेशा मानसिक बीमारी का संकेत नहीं होता। यह व्यवहार कई कारणों से हो सकता है, जैसे कि अकेलापन, चिंता, या थकावट। हालांकि, जब यह आदत अत्यधिक बढ़ जाती है और आपकी दैनिक ज़िंदगी को प्रभावित करने लगती है, तो यह एक गंभीर चिंता का विषय हो सकता है।
मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण: खुद से बात करने के विभिन्न पहलू Psychological perspectives: Different aspects of self-talk
डॉ. (प्रो.) राजीव मेहता का दृष्टिकोण सर गंगा राम अस्पताल के मनोचिकित्सक और व्यवहार विज्ञान संस्थान के प्रमुख डॉ. (प्रो.) राजीव मेहता ने इस मुद्दे पर विस्तार से प्रकाश डाला। उनके अनुसार, खुद से बात करने की आदत (Talking to Yourself) कई कारणों से उत्पन्न हो सकती है: - योजना और सोच-विचार: जब कोई व्यक्ति किसी योजना या विचार पर गहराई से ध्यान केंद्रित करता है, तो वह खुद से बात करने (Talking to Yourself) लग सकता है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है, विशेष रूप से तब जब व्यक्ति थका हुआ या तनावग्रस्त हो।
- तनाव और चिंता: अत्यधिक तनाव या चिंता की स्थिति में भी व्यक्ति खुद से बातें करने (Talking to Yourself) लगता है। यह एक प्रकार का आत्म-संवाद होता है, जो व्यक्ति की मानसिक स्थिति को दर्शाता है।
- मनोवैज्ञानिक समस्याएं: अगर कोई व्यक्ति गंभीर मानसिक विकारों, जैसे कि सिजोफ्रेनिया या साइकोसिस का शिकार है, तो वह खुद से बात करते हुए अदृश्य चीजों से संवाद करता दिखाई दे सकता है। इस स्थिति में, व्यक्ति की बातों और भावनाओं का विश्लेषण और उपचार आवश्यक होता है।
जब खुद से बातें करने की आदत बन जाए गंभीर समस्या When the habit of talking to yourself becomes a serious problem
अगर किसी व्यक्ति की खुद से बात करने की आदत उसके व्यक्तिगत, पेशेवर या सामाजिक जीवन को प्रभावित करने लगे, तो यह एक संकेत हो सकता है कि उसे मनोवैज्ञानिक परामर्श की आवश्यकता है। डॉ. (प्रो.) राजीव मेहता का कहना है कि ऐसे लोगों को समय पर चिकित्सा सहायता प्राप्त करनी चाहिए, ताकि किसी भी संभावित मानसिक विकार की पहचान की जा सके और उचित उपचार किया जा सके।
खुद से बातें करना (Talking to Yourself) हमेशा चिंता का कारण नहीं होता, लेकिन यदि यह आदत सामान्य से बाहर हो जाए और आपके जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करने लगे, तो इसे हल्के में न लें। उचित परामर्श और उपचार से आप अपनी मानसिक स्थिति को सुधार सकते हैं और एक स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।