कानों में घंटी बजने या हल्की ध्वनि की गूंज को टिनिटस कहा जाता है।
टिटिनस की शिकायत उम्र बढऩे के साथ होती है, लेकिन स्ट्रेस के बढ़ते स्तर से यह युवकों में भी देखा गया है। एक अनुमान के मुताबिक, कान में घंटी की तरह बजने वाली आवाज से एक प्रतिशत लोगों की जिंदगी अस्त-व्यस्त हो जाती है
एक नामी जर्नल करेंट बायोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, ब्रेन के नेटवर्क को कानों में होने वाली आभासी या काल्पनिक ध्वनियों का जिम्मेदार पाया गया है। यह पहली मर्तबा है, जब एक मरीज की शल्यक्रिया चलने के दौरान टिनिटस के लगातार होने वाले शोर के संकेतों के लिए मस्तिष्क की मैपिंग की गई। इस असाधारण मामले के लिए, टिनिटस पीडि़त एक व्यक्ति को उसके एपलेप्टिक सीशर्सÓ को चिह्नित करने के लिए उसके ब्रेन में 164 इलेक्ट्रोड्स को प्रत्यक्ष तौर पर स्थापित किया गया था। इसके बाद शोधकर्ताओं ने टिनिटस की अधिक गुंजायमान और इसके शांत रहने वाली अवधि के साथ ब्रेन एक्टिविटी का तुलनात्मक अध्ययन किया। यह अध्ययन यूके स्थित न्यूकैस्टल यूनिवर्सिटी के शोधार्थी विलियम सेडली और अमेरिका स्थित आइओबा यूनिवर्सिटी के शोधार्थी फिलिप गेंडर ने संयुक्त रूप से किया।
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