इसे चिकित्सकीय भाषा में ट्रेमर कहा जाता है अैर यह एक तरह का नर्वस डिसऑर्डर है। जानकारों का कहना है कि इस बीमारी में पहले हाथ कांपने लगते हैं, फिर पैर और बाद में यह धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैलने लगती है। यही नहीं इससे कभी-कभी आपकी आवाज भी कपकपाने लगती है। इस बीमारी में सबसे पहले हाथों पर असर होता है। ऐसा होते ही आप लापरवाही करने की बजाय डॉक्टर से सलाह लें तो बेहतर होगा। डॉक्टर्स की मानें तो आप जब रेगुलर एक्सरसाइज नहीं कर पाते, तो ऐसा होने लगता है। इससे बचने के लिए जरूरी है कि आप एक्सरसाइज और योगा को अपने रुटीन में शामिल करें। इसके साथ ही हाथों और पैरों की स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज को तवज्जोह दें। इससे आपकी नव्र्स की जकडऩ या शिथिलता खत्म होगी।
होती है आनुवांशिक अक्सर देखा गया है कि यह बीमारी पेरेंट्स या फॉर फादर में से किसी को हो तो बच्चों में भी यह आ जाती है। ट्रेमर वैसे तो इतनी खतरनाक बीमारी नहीं है, लेकिन अगर इस बीमारी की वजह से किसी के हाथ कापते हैं, तो यह मुश्किलें खड़ी कर सकती है। 40 की उम्र या उसे अधिक के लोगों में यह बीमारी देखने को मिलती है। वैसे हाथों की कपकपी से पार्किंसन रोग होता है, यानी यह अन्य बीमारियों को बुलावा भी देती है। हाल ही हुए कई शोधों में यह लक्षण कई मरीजों में देखने को मिले हैं। इस बीमारी में दिमाग और नसें प्रभवित होती हैं, जिससे हाथ कांपने लगते हैं।
इन चीजों की ना हो कमी यह कभी कभी कुछ चीज़ों की कमी की वजह से भी होती है। विटामिन बी 12 की कमी से आपका तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है, जिससे हाथ कांपने लगते हैं। इसलिए जरुरी है कि आप अपने खानपान का ध्यान रखें। इसमेें अंडे, मछली और दूध से बनी चीजें शामिल करें। आप अन्य किसी बीमारी की दवाएं ले रहे हैं तो डॉक्टर की सलाह से उन्हें भी बंद कर देखें। कई दवाइयों से डोपामाइन नाम का रसायन दिमाग में बनना बंद हो जाता है। इससे भी हाथ में कपकपी होने लगती है।
अगर आपको कोई चोट लगी हो, जिससे आपकी नसों को नुकसान हुआ है, तो इसका इलाज भी जल्द करवाएं। छोटी चोटों को आप नजरअंदाज न करें। डॉक्टर्स का यह भी कहना है कि जिस मरीज को नींद पूरी नहीं आती या इन्सोमेनिया की बीमारी है, उनको भी यही परेशानी हो जाती है। वहीं लो ब्लड शुगर भी इसकी एक वजह मानी जाती है। जानकार इसका सबसे अच्छा उपाय शारीरिक कार्य करने को बताते हैं।