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स्वास्थ्य

World Unani Day: रोग के साथ मिजाज देखकर देते दवा

देश के प्रसिद्ध यूनानी चिकित्सक हकीम अजमल खान के जन्मदिन पर मनाते हैं विश्व यूनानी दिवस

जयपुरFeb 10, 2021 / 11:08 pm

Hemant Pandey

World Unani Day: रोग के साथ मिजाज देखकर देते दवा

World Unani Day: रोग के साथ मिजाज देखकर देते दवा

यूनानी चिकित्सा के अनुसार मानव शरीर आग, हवा, मिट्टी और पानी जैसे तत्त्वों से बना है जबकि आयुर्वेद में पंच महाभूत होता है। इसमें आकाश भी शामिल है। यूनानी के अनुसार शरीर के अखलात यानी बलगम, खून, सफरा (पीला पित्त) और सौदा (काला पित्त) के असंतुलन से बीमारियां होती हैं। इनका शरीर में घटने-बढऩे से व्यक्ति के मिजाज (कैफियत) पर असर पड़ता है। यूनानी में चार प्रकार के कैफियत (गर्म, ठंडा, गीला व सूखा) होते हैं। इनको ध्यान में रखकर ही इलाज किया जाता है।
खून साफकर भी करते हैं बीमारियों का इलाज
इसमें इलाज की चार विधियां होती । जिसमें इलाज-बिल-गिजा, तदबीर, दवा और यद है। इलाज-बिल-गिजा में सही आहार और परहेज के साथ इलाज किया जाता है। इसमें रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए विशेष चीजें खिलाई जाती हैं। इलाज-बिल-तदबीर में खून को साफ कर बीमारी ठीक की जाती है। इसमें शमूमत (अरोमा), जोंक, हिजामा (कपिंग) थैरेपी आदि प्रयोग में लेते हैं। इलाज-बिल-दवा में मरीजों का इलाज जड़ी-बूटियों से किया जाता है। इसमें रोग और रोगी की अवस्था देखने के बाद ही गोलियां, चूर्ण, चटनी, जोशांदा आदि देते हैं। इलाज-बिल-यद, आधुनिक सर्जरी जैसी होती है। सर्जरी को अंतिम विकल्प मानते हैं।
आयुर्वेद से ऐसे अलग होती है यूनानी पद्धति
आयुर्वेद में पाउडर और भस्म के रूप में दवाइयां ज्यादा दी जाती हैं जबकि यूनानी में अधिकतर दवाइयों को शहद में माजून, खमीरे के रूप में रखते हैं। इसे लंबे समय तक उपयोग में लेते हैं। यूनानी की दवाइयों को हमेशा शीशे के मर्तबान में ही रखने चाहिए। हर दवा को लेने का तरीका और समय भी तय होता है। जैसे कुछ खाली पेट और कुछ खाने के बाद लेते हैं ताकि दवा का असर ज्यादा हो सके।
जड़ से खत्म करते हैं बीमारी को
यूनानी चिकित्सा में भी बीमारी को जड़ से ही खत्म करने पर ध्यान देते हैं। इसमें मरीज के मर्ज और उसकी गंभीरता के अनुसार अलग-अलग रूपों में औषधियां दी जाती हैं। जानते हैं उनके प्रकार और उपयोग का तरीका-
यूनानी में हृदय रोगों और जुकाम से ऐसे बचें
चिलगोजा और कलौंजी की 100-100 ग्राम मात्रा में लेकर बारीक पीस लें। फिर इसको शहद में मिलाकर एक शीशे के बर्तन में रख दें। इसे सुबह-शाम आधा चम्मच लें। हृदय रोगों से बचाव करता है। इसी तरह लाहौरी नमक, अजवाइन, हींग, पुदीना, त्रिफल को मिलाकर चूर्ण बना लें। यह पाचन को ठीक रखता है। यह कब्ज और गैस की समस्या में भी राहत देता है। जिन्हें साइनोसाइटिस या नाक में नजला की दिक्कत है तो वह 5 ग्राम साबुत धनिया, दो-दो नग कालीमिर्च-बादाम, थोड़ी मुलैठी को मिलाकर लेना इसमेंं फायदेमंद है। पुरानी खांसी से भी यह राहत देता है।
नुस्खों से पाएं आराम
सर्दी-जुकाम की समस्या है तो कलौंजी शहद के साथ या मिश्री-कालीमिर्च को रात में ले सकते हैं।
पेट संबंधी रोगों में मुजमिन यानी मूंग की दाल खाने से फायदा होता है। रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए केसर की 1-2 कतरन एक चम्मच शहद के साथ माह में 1-2 बार ले सकते हैं।
अपच होने पर हरड़, गुलाब की पंखुडिय़ोंं, सौंफ और मुनक्का को चीनी में मिलाकर ले सकते हैं।
हड्डियों की मजबूती के लिए जैतून, कुंजद, जर्द आदि के तेल से हफ्ते में 2-3 बार मालिश कर सकते हैं।
डॉ. मोहम्मद जुबैर, प्रिसिंपल, आयुर्वेदिक एवं यूनानी तिबिया कॉलेज, नई दिल्ली

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