तिथि
सूर्योदय से अर्धरात्रि 04.23 मिनट तक भद्रा संज्ञक सप्तमी तिथि रहेगी। पश्चात जया संज्ञक अष्ठमी तिथि लगेगी। सप्तमी तिथि में भगवान सूर्यनारायण की पूजा करना चाहिए, ये सबके स्वामी एवं रक्षक हैं। अष्ठमी तिथि को वृषभ से सुशोभित भोलेनाथ की पूजा करनी चाहिए, वे प्रचुर ज्ञान तथा अत्याधिक कांति प्रदान करते हैं। भगवान शंकर ज्ञान देने वाले और बंधन मुक्त करने वाले हैं।
नक्षत्र
सूर्योदय से अर्धरात्रि 05.04 मिनट तक उग्र ध्रुव स्थिर रोहिणी नक्षत्र रहेगा। पश्चात मृदु मैत्र मृगशिरा नक्षत्र लगेगा। मकान, दुकान, मठ, मंदिर, रेललाइन, गुफा, छत, कुंआ, सड़क और अन्य कार्य रोहिणी नक्षत्र में करना शुभ रहता है। नए पुराने वाहनो का क्रय-विक्रय, वाहन के उपयोग, वाहन के संचालन, वाहन से यात्रा करने या सवारी आदि के लिए मृगशिरा नक्षत्र शुभ माने गए हैं।
योग
सूर्योदय से दोपहर 02.00 मिनट तक विष्कुंभ योग रहेगा। पश्चात प्रीति योग लगेगा। विष्कुंभ योग के स्वामी यमदेव माने जाते हैं, जबकि प्रीति योग के स्वामी विष्णु भगवान माने गए हैं।
विशिष्ट योग
विष्कुंभ योग को अशुभ योग माना जाता है। किसी भी शुभ कार्य करने के लिए विष्कुंभ योग के प्रथम 03 घंटे का त्याग करना चाहिए। प्रीति योग शुभ होता है। इसमें शुभ कार्य की शुरुआत कर सकते हैं।
आज का शुभ मुहूर्त
अनुकूल समय में नए घर के लिए भूमि पूजन करने के लिए शुभ मुहूर्त है।
श्रेष्ठ चौघड़िए
प्रातः 06.38 मिनट से 09.36 मिनट तक लाभ व अमृत का चौघड़िया रहेंगे। प्रातः 11.05 मिनट से 12.33 मिनट तक शुभ का चौघड़िया एवं दोपहर 03.31 मिनट सांयः 06.28 मिनट से सायंः 06.28 मिनट तक क्रमशः चंचल व लाभ के चौघड़िया रहेंगे।
करण
सूर्योदय से दोपहर 04.37 मिनट तक गर नामक करण रहेगा। इसके पश्चात वणिज नामक करण लगेगा। इसके पश्चात विष्टि नामक करण लगेगा।
व्रतोत्सव
चंद्रमाः सूर्योदय से लेकर संपूर्ण दिवस पर्यन्त तक चंद्रमा पृथ्वी तत्व की वृषभ राशि में रहेंगे।
भद्राः अर्धरात्रि 04.23 मिनट से प्रारंभ भद्रा का निवास स्वर्ग में रहेगा।
दिशाशूलः उत्तर दिशा में। अगर हो सके तो आज उत्तर दिशा में की जाने वाली यात्रा को टाल दें।
राहु कालः दोपहर 12.33.54 से 02.02.38 तक राहु काल वेला रहेगी। इस समय में शुभ कार्यों को करने से बचना चाहिए।