तिथि
सूर्योदय से से दोपहर 05.43 मिनट तक द्वादशी तिथि रहेगी। पश्चात त्रयोदशी तिथि लगेगी। द्वादशी तिथि को भगवान विष्णु की पूजा करके मनुष्य सदा विजयी होकर समस्त लोक में वैसे ही विजयी हो जाता है, जैसे किरणमौली भगवान सूर्य पूज्य हैं। त्रयोदशी में कामदेव की पूजा करने से मनुष्य उत्तम भार्या प्राप्त करता है तथा उसकी सभी कामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
नक्षत्र
सूर्योदय से धरात्रि 09.45 मिनट तक तीक्ष्ण दारुण आश्लेषा नक्षत्र रहेगा। पश्चात उग्र क्रूण मघा नक्षत्र लगेगा। फसल की बुआई, मढ़ाई, कटाई, हल चलाना, वृक्षारोपण जैसे कार्यों के लिए आष्लेषा एवं मघा दोनों नक्षत्र निषिद्ध माने गए हैं। वर-वधु की दिखाई रस्म, विवाह आदि के लिए मघा नक्षत्र शुभ माने गए हैं।
योग
सूर्योदय से रात्रि 09.17 मिनट तक सुकर्मा योग रहेगा पश्चात धृति योग लगेगा। सुकर्मा योग के स्वामी इंद्रदेव माने जाते हैं, जबकि धृति योग के स्वामी जलदेवता माने गए हैं।
विशिष्ट योग
सुकर्मा और धृति दोनो ही योग बेहद शुभ होते हैं। इन दोनो में किये गए कार्य की सफलता सुनिश्चित रहती है। आगम शास्त्र विधि से साधना करने के लिए सुकर्मा योग बेहद सफल होता है।
आज का शुभ मुहूर्त
अनुकूल समय में वस्तु विशेष का विक्रय करने के लिए शुभ मुहूर्त है।
श्रेष्ठ चौघड़िए
प्रातः 06.34 मिनट से 08.03 मिनट तक अमृत का चौघड़िया रहेगा। प्रातः 09.33 मिनट से 11.02 मिनट तक शुभ का चौघड़िया रहेगा। एवं दोपहर 02.02 मिनट से सायंः 06.30 मिनट तक क्रमशः चंचल, लाभ व अमृत के चौघड़िये रहेंगे।
करण
सूर्योदय से प्रातः 07.18 मिनट तक बव नामक करण रहेगा। इसके पश्चात बावल नामक करण लगेगा। इसके पश्चात कौलव नामक करण लगेगा।
व्रतोत्सव
व्रत/पर्वः गोविंद द्वादशी। महाद्वादशी। सोमप्रदोष व्रत।
चंद्रमाः सूर्योदय से रात्रि 09.45 मिनट तक चंद्रमा जल तत्व की कर्क राशि में रहेंगे। पश्चात अग्नि तत्व की सिंह राशि में प्रवेश करेंगे।
दिशाशूलः पूर्व दिशा में। अगर हो सके तो आज पूर्व दिशा में की जाने वाली यात्रा को टाल दें।
राहु कालः प्रातः 08.03.49 से सायंः 09.33.23 तक राहु काल वेला रहेगी। अगर हो सके इस समय में शुभ कार्यों को करने से बचना चाहिए।