विश्व में तीन ग्रहण पड़ रहे हैं ज्योतिषाचार्य पंडित शुभम दुबे बताते हैं कि 16 जुलाई को सुबह 10.45 से 12.25। इसके बाद 12.25 से दोपहर 2.05 तक द्वितीय मूहूर्त है। दोपहर बाद सूतक शुरू हो जाएगा। पं. दुबे बताते हैं कि इस वर्ष विश्व में तीन ग्रहण पड़ रहे हैं जिसमें दो सूर्य एवं एक चंद्रग्रहण होगा। भारत में केवल एक चंद्र ग्रहण एवं एक सूर्य ग्रहण ही दृश्य होगा। 16 एवं 17 जुलाई 2019 आषाढ़ शुक्ल पक्ष गुरु पूर्णिमा उत्तराषाढ़ा नक्षत्र धनु राशि में खंडग्रास चंद्रग्रहण होगा। स्पर्श रात्रि 1.31 और मध्य रात्रि 3.01 वहीं पर्व काल दो घंटा 49 मिनट का रहेगा। बालक, वृद्ध, व रोगियों को इस ग्रहण का सूतक सिर्फ एक पहर, अर्थात रात्रि 10.31 से मानना चाहिए।
मकर, वृष और कन्या राशि वालों के लिए रहेगा अशुभ
राशियों पर एेसा रहेगा ग्रहण का प्रभाव
पं. दुबे के अनुसार ग्रहण उत्तराषाढ़ा नक्षत्र एवं धनु राशि वालों के लिए अनिष्ट कारक रहेगा। मकर, वृष, कन्या राशि वालों के लिए अशुभ रहेगा। मेष, मिथुन, सिंह व वृश्चिक राशि वालों को मध्यम रहेगा। वहीं मीन, कर्क, तुला व कुंभ राशि वालों के लिए शुभ फलदायी रहेगा। जिन राशि वालों को अनिष्ट कारक है एवं अशुभ मध्यम फल लिखा है, उन्हें ग्रहण नहीं देखना चाहिए।
राशियों पर एेसा रहेगा ग्रहण का प्रभाव
पं. दुबे के अनुसार ग्रहण उत्तराषाढ़ा नक्षत्र एवं धनु राशि वालों के लिए अनिष्ट कारक रहेगा। मकर, वृष, कन्या राशि वालों के लिए अशुभ रहेगा। मेष, मिथुन, सिंह व वृश्चिक राशि वालों को मध्यम रहेगा। वहीं मीन, कर्क, तुला व कुंभ राशि वालों के लिए शुभ फलदायी रहेगा। जिन राशि वालों को अनिष्ट कारक है एवं अशुभ मध्यम फल लिखा है, उन्हें ग्रहण नहीं देखना चाहिए।
ग्रहण में यह सब रहेगा वर्जित
सूतक वेद के समय में मूर्ति स्पर्श, भोजन, शयन, गर्भवती माताओं को सब्जी फल इत्यादि नहीं काटना चाहिए। अनिष्ट शांति के लिए हवन, जप, दान, तुला दान व अन्य वस्त्र आदि का दान करना चाहिए। ग्रहण के स्पर्श व मोक्ष में स्नान तथा मध्य और अंत में दान आदि करना चाहिए। यह नियम सभी ग्रहण में करना चाहिए स्नान दान आदि सभी ग्रहण में एक सब होता है।
सूतक वेद के समय में मूर्ति स्पर्श, भोजन, शयन, गर्भवती माताओं को सब्जी फल इत्यादि नहीं काटना चाहिए। अनिष्ट शांति के लिए हवन, जप, दान, तुला दान व अन्य वस्त्र आदि का दान करना चाहिए। ग्रहण के स्पर्श व मोक्ष में स्नान तथा मध्य और अंत में दान आदि करना चाहिए। यह नियम सभी ग्रहण में करना चाहिए स्नान दान आदि सभी ग्रहण में एक सब होता है।