यह है महत्व
कहा जाता है कि चन्द्रमा से निकलने वाले अमृत को कोई भी साधारण व्यक्ति ग्रहण कर सकता है। चन्द्रमा से बरसने वाले अमृत को सफेद खाने योग्य वस्तु के माध्यम से कोई भी व्यक्ति अपने शरीर में प्राप्त कर सकता है। चांद की रोशनी में बैठने से, चांद की रोशनी में 4 घण्टे रखा भोजन खाने से और चन्द्रमा के दर्शन करने से व्यक्ति आरोग्यता को प्राप्त करता है।
कहा जाता है कि चन्द्रमा से निकलने वाले अमृत को कोई भी साधारण व्यक्ति ग्रहण कर सकता है। चन्द्रमा से बरसने वाले अमृत को सफेद खाने योग्य वस्तु के माध्यम से कोई भी व्यक्ति अपने शरीर में प्राप्त कर सकता है। चांद की रोशनी में बैठने से, चांद की रोशनी में 4 घण्टे रखा भोजन खाने से और चन्द्रमा के दर्शन करने से व्यक्ति आरोग्यता को प्राप्त करता है।
इनके लिए होती है विशेष रात
शरद पूर्णिमा की रात वैसे तो हर किसी के लिए खास होती है लेकिन रोगियों के लिए विशेष रूप से खास होती है। क्योंकि चन्द्रमा की रोशनी से निकलने वाला अमृत रोगियों के रोगों को दूर करता है।
शरद पूर्णिमा की रात वैसे तो हर किसी के लिए खास होती है लेकिन रोगियों के लिए विशेष रूप से खास होती है। क्योंकि चन्द्रमा की रोशनी से निकलने वाला अमृत रोगियों के रोगों को दूर करता है।
शरद पूर्णिमा पूजा विधि
– ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान कर पवित्र हो जाएं।
– शरद पूर्णिमा के दिन सफेद वस्त्र धारण करने चाहिए।
– इस दिन व्रत करने वाले को लक्ष्मीनारायण की उपासना करनी चाहिए।
– पूरा दिन नाम जप, भजन व ध्यान आदि में व्यतीत करने का प्रयास करें।
– संध्या के समय शरद पूर्णिमा कथा का श्रवण करें।
– मां लक्ष्मी के श्री यंत्र का दर्शन करें।
– लक्ष्मी नारायण की पूजा करें।
– इस दिन खीर बनाकर चन्द्रमा की रोशनी में लगभग 4 घण्टे के लिए रखें।
– खीर किसी पात्र में डालकर ऐसे स्थान पर रखें जहां चांदनी आती हो।
– चाहें तो खीर को सफेद झीने वस्त्र से धककर भी रख सकते है।
– खीर को चांदनी से हटाने के बाद श्री लक्ष्मीनारायण को उसका भोग लगाएं।
– भोग लगी खीर को प्रसाद रूप में बांटें व खाएं।
– ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान कर पवित्र हो जाएं।
– शरद पूर्णिमा के दिन सफेद वस्त्र धारण करने चाहिए।
– इस दिन व्रत करने वाले को लक्ष्मीनारायण की उपासना करनी चाहिए।
– पूरा दिन नाम जप, भजन व ध्यान आदि में व्यतीत करने का प्रयास करें।
– संध्या के समय शरद पूर्णिमा कथा का श्रवण करें।
– मां लक्ष्मी के श्री यंत्र का दर्शन करें।
– लक्ष्मी नारायण की पूजा करें।
– इस दिन खीर बनाकर चन्द्रमा की रोशनी में लगभग 4 घण्टे के लिए रखें।
– खीर किसी पात्र में डालकर ऐसे स्थान पर रखें जहां चांदनी आती हो।
– चाहें तो खीर को सफेद झीने वस्त्र से धककर भी रख सकते है।
– खीर को चांदनी से हटाने के बाद श्री लक्ष्मीनारायण को उसका भोग लगाएं।
– भोग लगी खीर को प्रसाद रूप में बांटें व खाएं।