स्वतंत्रता सैनानी जैन ने देश की आजादी के बाद भी मरते दम तक कोई शासकीय सहायता नहीं ली। पेंशन तक को उनकी पत्नी कुसुम रानी जैन ने ठुकरा दिया था। आंदोलन के लिए निर्मल को छात्र जीवन में ही बाबई निवासी उनके मामा बाबू एन कुमार जैन, मूलचंद सिंघई, बाबूलाल गिल्ला ने प्रेरित किया था।
जिंदगी भर खादी धारण की
निर्मल कुमार का जन्म सराफा चौक स्थित घरौंदा निवासी पिता बाबूलाल जैन के यहां 26 अक्टूबर 1925 में हुआ था। उनका निधन 23 सितंबर 1973 में हुआ। उन्होंने जिंदगी भर खादी वस्त्र ही धारण किए। विदेशी कपड़ों की होली जलाई थी।
अपने साथियों के साथ निर्मल कुमार जैन आजादी के आंदोलन में बेहद सक्रिय रहे। जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू होशंगाबाद सर्किट हाउस में आए थे, तब उन्होंने निर्मल कुमार जैन को बुलाकर उनसे मुलाकात की थी। मुख्यमंत्री रहे सेठ गोविंद दास, प्रकाशचंद सेठी ने भी ताम्रपत्र देकर उन्हें सम्मानित किया था।
भाई विमल कुमार जैन भी रहे सक्रिय
वरिष्ठ स्वतंत्रता सैनानी निर्मल कुमार जैन के साथ उनके छोटे भाई विमल कुमार जैन भी सहयोगी के रूप में सक्रिय रहे। विमल कुमार का जन्म 30 जुलाई 1930 में एवं निधन 22 जनवरी 2010 को हुआ। विमल भी किले के पास स्थित मल्टीपरपस स्कूल में पढ़े और आजादी के आंदोलन के दौरान स्कूल का एक टाइप राइटर एवं बोट जिसमें अंग्रेज अधिकारी परिवार के साथ नर्मदा में सैर करते थे, उसे पत्थर से बांधकर नर्मदा के जल में डुबो दिया था। इसकी सजा के रूप में उन्हें हथेली में 30 दिनों तक बेंत खानी पड़ी थी। निर्मल जैन के पुत्र डॉ. नवीन, मुकेश एवं राजेश जैन अपने परिवार के पैतृक निवास में रह रहे रहे हैं। इनका कहना है कि हमें गर्व हैं कि हम स्वतंत्रता सेनानी के पुत्र हैं।