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अजब-गजब: भूतों की मंडली ढूंढने निकला यह अफसर, फिर क्या हुआ, पढ़ें पूरी खबर

locationहोशंगाबादPublished: Jun 30, 2018 02:06:02 pm

25 सदस्यीय भूतों के दल ने चुना है अपना सरदार, बांट रहा है राशन

ghosts

ghostsellers of madhya pradesh in mandla

होशंगागाबाद। नर्मदा नगरी में कलेक्टर प्रियंका दास के हुक्म पर एक अफसर भूतों की मंडली ढूंढने निकला है। इस अफसर को सात दिन का समय दिया गया है। उसे भूत और उसके सरदार के बारे में पता कर अपनी रिपोर्ट देना होगी। यह जिम्मेदारी मिली है सहकारिता इंस्पेक्टर डीएस दुबे को। दुबे भूतों की तलाश में निकले हैं लेकिन अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे। उम्मीद की जा रही है कि वे समय-सीमा के भीतर भूतों की असलियत प्रशासन के सामने उजागर कर देंगे। क्योंकि 25 सदस्यीय इस भूत मंडली ने अपना एक सरदार भी चुन लिया है, जो बकायदा राशन बांट रहा है।
दिखते नहीं पर काम कर रहे
यह भूत आंखों से दिखाई नहीं देते हैं, लेकिन अपना काम बखूबी पूरी जिम्मेदारी से कर रहे हैं। यहां तक की सरकारी दस्तावेजों में उनके साइन भी दिखते हैं, लेकिन करने वाला नजर नहीं आता। उनके घरवाले भी उन्हें मृत मान रहे हैं लेकिन सरकार सरकार उनकी मौत पर यकीन नहीं कर पाई है। अब पता लगाया जा रहा है कि जब वो दिवंगत हैं तो फिर काम कैसे और क्यों कर रहे हैं।
जांच करा रहे हैं
उपपंजीयक सहकारी विभाग अखिलेश निगम ने बताया कि कलेक्टर के निर्देश पर हम इस पूरे मामले की जांच करा रहे हैं। इसकी जिम्मेदारी सहकारिता इंस्पेक्टर डीएस दुबे को दी है। वह जांच अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। उन्हें सात दिन में मामले की जांच कर रिपोर्ट देने का कहा गया है।
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यह है मामला
दरअसल ‘पत्रिकाÓ ने 9 जून को ‘भूतो ने किया मतदान, चुन लिया एक भूतÓ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। इसके बाद प्रशासन हरकत में आया और जांच के आदेश दिए। यह है मामला होशंगाबाद के जुमेराती स्थित मां नर्मदा प्राथमिक उपभोक्ता भंडार का है। यहां से वार्ड २६ एवं २७ के उपभोक्ताओं को राशन दिया जाता है। इसमें नियम विरूद्ध तरीके से अध्यक्ष ने संचालक मंडल में अपने नाते-रिश्तेदारों को उपाध्यक्ष और सदस्य बनाया है। इतना ही नहीं दो दर्जन दिवंगत सदस्य हैं और इन्होंने वोट डालकर अपने एक मृत साथी को संचालक मंडल में भी चुन लिया। सभी ने निर्वाचन अधिकारी के सामने वोट डाले और अब बकायदा दुकान का संचालन कर रहे हैं। इस मामले की शिकायत मनोज नागा ने संपूर्ण दस्तावेज के साथ कलेक्टर, उपपंजीयक सहकारी संस्थाएं और जिला खाद्य अधिकारी से की थी।
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