उस जानलेवा हमले का आरोपी और कोई नहीं बल्कि उसके ही दल का एक वरिष्ठ अधिकारी था। कर्नल क्लॉस शेंक वॉन स्टफनबर्ग नाम के आरोपी ने अधिकारियों के बैठने की जगह पर बम प्लांट किया था। हालांकि उस हमले में हिटलर को मामूली चोट ही आई। कुछ जगहों पर वह जल गया था। बता दें कि उस बैठक में इटली के नेता बेनितो मुसोलिनी से मिलने की चर्चा हो रही थी। हमले के बाद भी हिटलर इटली के नेता बेनितो मुसोलिनी से मिला।
सन 1943 में ट्यूनीशिया में तैनाती की समय स्टफनबर्ग हमले में बुरी तरह से घायल हो गए थे। उस हमले में उन्होंने अपना दायां हाथ, एक आंख और बाएं हाथ की दो उंगलियां गंवा दी थीं। स्टफनबर्ग जब ठीक हुए तो उनसे एक संगठन ने संपर्क किया। इस संगठन का लक्ष्य था हिटलर के साम्राज्य का सफाया करना। सन 1944 में स्टफनबर्ग को जर्मन रिप्लेसमेंट आर्मी का चीफ ऑफ स्टाफ बनाया गया। अब आसानी से वे हिटलर से मेल-जोल बढ़ा सकते थे और मौका देखकर उसकी हत्या कर सकते थे।
साजिश के तहत स्टफनबर्ग को हिटलर का सुरक्षा घेरा तोड़ते हुए बिस्फोटक से भरे दो ब्रीफकेस मीटिंग में लेजाकर हिटलर के पास रखने थे और वहां से निकलकर तुरंत बाहर आना था। लेकिन बम लगाने में कुछ मुश्किल हुई जिसके बाद वे बिस्फोटक से भरा सिर्फ एक ही ब्रीफकेस अंदर ले जा सके और मिशन कामियाब नहीं हो पाया। धमाका ज़रूर हुआ उसमें चार लोग मारे भी गए लेकिन हिटलर बचा गया। इसके बाद स्टफनबर्ग और कुछ साजिशकर्ताओं को बर्लिन में गिरफ्तार कर लिया गया और गोली मार दी गई।