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910 साल पहले आसमान से लापता हो गया था चांद, अब वैज्ञानिकों ने खोला रहस्य

-Mystery of Moon Disappear From The Sky: अक्सर चांद के गायब होने के किस्से कुछ कहानियों में सुनने को जरूर मिलते हैं।-Moon Mystery Revealed: आज से 910 साल पहले चांद ( Moon ) आसमान से गायब हो गया था। वो भी कुछ समय के लिए नहीं महीनों तक। अब चांद के गायब होने का रहस्य वैज्ञानिकों ( Scientist ) ने सुलझाने का दावा किया है।

नई दिल्लीMay 14, 2020 / 02:32 pm

Naveen

910 years ago moon disappear from the sky Scientists revealed mystery

Mystery of Moon Disappear From The Sky: अक्सर चांद के गायब होने के किस्से कुछ कहानियों में सुनने को जरूर मिलते हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि ऐसा हकीकत में भी हुआ था? सुनकर भले ही यकीन ना हो, परंतु आज से 910 साल पहले चांद ( Moon ) आसमान से गायब हो गया था। वो भी कुछ समय के लिए नहीं महीनों तक। अब चांद के गायब होने का रहस्य वैज्ञानिकों ( Scientist ) ने सुलझाने का दावा किया है। बता दें इसके लिए वैज्ञानिक लंबे समय से खोज कर रहे थे। वैज्ञानिकों ने इसके पीछे की वजह किसी और को नहीं बल्कि पृथ्वी को बताया है।

सदियों तक नहीं मिला था सुराग ( Moon Mystery Revealed )
दरअसल, 910 साल पहले चंद्रमा आसमान से लापता हो गया था। करीब एक महीने तक लोग चांद को नहीं देख पाएं। इसके पीछे क्या वजह थी, ये वैज्ञानिकों के लिए एक रहस्य बना हुआ था। इस पर काफी रिसर्च किया गया, लेकिन सदियों तक कोई सुराग नहीं मिला और कहानी अनसुलझी ही रही। अब वैज्ञानिकों ने इसका कारण पता लगाया है।

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स्विट्जरलैंड की जिनेवा यूनिवर्सिटी ( Geneva university ) के शोधकर्ताओं ने एक शोध किया है। यह शोध ‘क्लाइमेट एंड सोसाइटल इंपैक्ट ऑफ अ फॉरगॉटन क्लस्टर ऑफ वॉल्कैनिक इरप्शन्स इन 1109-1110 सीई’ शीर्षक से नेचर जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसी शोध में चांद के गायब होने की वजह भी सामने आई है।

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क्या थी चांद के गायब होने की वजह?
शोधकर्ताओं ने बताया कि ज्वालामुखी की राख, सल्फर और ठंडे मौसम की वजह से चांद दिखना बंद हो गया था। रिसर्च में सामने आया है कि वर्ष 1108 के मध्य आइसलैंड के ज्वालामुखी हेकला में भयानक विस्फोट हुआ था। इसके बाद उसमें लगातार छोटे-छोटे विस्फोट होते रहे। जिसके चलते पृथ्वी के वायुमंडल में अचानक सल्फर की मात्रा में तेजी वृद्धि हुई थी।

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सर्दियों की वजह से ये हवा में घुलती रही। इसी वजह से चार ओर अंधेरा छा गया। इसी वजह से रोशनी काली दिखाई देती थी। चांद के गायब होने का भी यह ही रहस्य है। वैज्ञानिकों को इस बात का प्रमाण मिला है, उन्होंने जगह-जगह बर्फ में सल्फर की मात्रा जमी पाई है जो 1108 से 1110 के बीच की है।

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ज्वालामुखी फटने से हुआ था ऐसा ( Volcano )
वैज्ञानिकों को ने अपने ताजा शोध में इस बात का भी खुलासा किया है कि 1108 से 1110 के बीच बहुत सारे ज्वालामुखी के फटने की वजह से सल्फर गैस की मात्रा बहुत तेजी से बढ़ गई थी। हालांकि, वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि हो सकता है कोई अन्य कारण भी हो, लेकिन ज्वालामुखी ने इस घटना में अहम भूमिका रही है। उस वक्ती की यूरोप की कुछ अन्य घटनाएं भी इस बात का इशारा करती हैं। बता दें कि चांद के गायब होने के रहस्य को सुलझाने में वैज्ञानिकों को काफी मेहनत करनी पड़ी।

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