नई दिल्ली। कहते है बेटियां, बेटों से कम नहीं होती। ये कहावत कांगड़ा (Kangda) जिले की एक लड़की पर बिल्कुल सटीक बैठती है। पिता के शारीरिक रूप से लाचार (physically disabled) होने पर उसी ने पूरे परिवार की जिम्मेदारियां उठा रखी है। एमए की पढ़ाई करने बावजूद वह इस समय पेट्रोल पंप (petrol pump) पर काम कर रही है। उसके लिए अभी अपने सपनों से ज्यादा परिवार का खर्च उठाना जरूरी है।
मां को नहीं आई जरा भी दया, अपने ही हाथों से ली 3 मासूमों की जान इस पुरुष प्रधान समाज में जहां आज भी कई काम लड़के ही करते हैं। इन्हीं में से एक है पेट्रोल पंप पर फिलिंग का काम। मगर कांगड़ा जिले की प्रियंका राजपूत ने इस धारणा को बदलने की कोशिश की है। उसके मुताबिक लड़कियां भी लड़कों के समान काम कर सकती है। प्रियंका ने बताया कि बीमारी के चलते उसके पिता की एक टांग पहले से ही खराब थी। अब दूसरे पैर को भी काटना पड़ रहा है। ऐसे में घर में मौजूद दो भाई, मां और पिता का खर्च उठाने के लिए वो कोई भी मेहनत का काम कर सकती हैं।
प्रियंका अपने परिवार का खर्च उठाने के साथ अपने सपनों को भी पूरा करना चाहती हैं। तभी वो इस समय प्राइवेट स्तर पर हिंदी में एमए कर रहीं है। इसके बाद व बीएड करना चाहती हैं। पढ़ाई और काम के बीच तालमेल बिठाने के लिए प्रियंका को काफी मेहनत करनी पड़ रही है। पेट्रोल पंप पर इस समय उसे 8 हजार रुपये प्रतिमाह मिल रहे हैं।
Home / Hot On Web / पिता हुए लाचार तो बेटी बनी ढाल, एमए करने के साथ कर रही पेट्रोल पंप पर काम