कोरोना वायरस : मुर्गों के बाद अब मछलियों की बारी, हजारों क्विंटल को जमीन में गाड़ा
Coronavirus : हिमाचल प्रदेश के मछुआरों को हो रहा आर्थिक नुकसान, लोग नहीं खरीद रहे हैं मछली
बिक्री न होने से परेशान मछुआरों ने मछलियों को जमीन में किया दफन
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के कहर से पूरी दुनिया जूझ रही है। माना जाता है कि नॉनवेज के जरिए ये वायरस वुहान से फैला है इसलिए तब से दुनिया के कई देश नॉनवेज से दूरी बना रहे हैं। इसका जीता जागता सबूत हिमाचल प्रदेश में देखने को मिला। यहां के मछुआरों ने हजारों क्विंटल मछलियों को जमीन में गाड़ दिया। इससे पहले बेंगलुरु में हजारों जिंदा मुर्गों को जमीन में गाड़ दिया गया था। जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई थीं।
पब्लिक टॉयलेट से वायरस की शिकार हुई थी दुनिया की पहली कोरोना मरीज! जानें आपबीती बताया जाता है कि हिमाचल प्रदेश के भाखड़ा डैम और गोविंद सागर झील में पैदा होने वाली लाखों रुपये की मछलियों को कोरोना वायरस के चलते गड्ढे में दफना कर दिया गया। कोरोना वायरस की वजह से लोगों ने मीट मंडी में खरीदारी कम कर दी है। जिसके चलते मछलियों की भी बिक्री नहीं हो पा रही है। कोरोना वायरस की वजह से हिमाचल प्रदेश के लगभग 15000 मछुआरों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है।
मत्स्य पालन का व्यवसाय ठप होने की वजह से मछुआरे सरकार से आर्थिक मदद की मांग कर रहे हैं। क्योंकि रोजी-रोटी छिन जाने की वजह से उन्हें घर चलाने में दिक्कत हो रही है। मालूम हो कि इससे पहले बेलागवी और कोलार जिले के मुर्गी पालन करने वाले किसानों ने अपने फार्म की हजारों मुर्गियों को जिंदा दफन कर दिया था। एक अंग्रेजी न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, एक पोल्ट्री फार्म के मालिक ने बताया कि तकरीबन 6 हजार मुर्गियों को जिंदा गड्ढे में दबा दिया गया। क्योंकि पहले जो मुर्गियां 50 से 70 रुपये प्रति किलो बिक रही थी वह कोरोना के बाद से महज 5 से 10 रुपए किलो में बिक रही थी। इससे उनको नुकसान हो रहा था।
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