एक हेल्थ रिपोर्ट के मुताबिक, 30 से ज्यादा बीएमआई वाले मोटे लोगों को अस्पताल में भर्ती होने का जोखिम 113% होता है। जबकि, आईसीयू में भर्ती होने वाले मरीज का जोखिम 74% है और कोरोनो वायरस की गंभीरताओं के कारण मरने का प्रतिशत लगभग 48 होता है। मशहूर न्यूट्रीशनिस्ट ईशी खोसला से मोटे लोगों में वायरल रोगों और गंभीर लक्षणों से पीड़ित होने के 70 प्रतिशत अधिक संभावना होती है।
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न्यूट्रिशन एंड डायटेटिक्स प्रमुख रितिका समददार आरडी ने कहा: “हमने देखा है कि जो लोग मोटे होते हैं, वे कोरोना के ज्यादा शिकार हो रहे हैं। ऐसे लोगों में मृत्यु दर अधिक है। यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि अब मोटापे को एक कॉस्मेटिक समस्या तक सीमित नहीं किया जा सकता है, बल्कि एक चिकित्सा मुद्दे के रूप में भी।
खानपान में करें बदलाव
खोसला का कहना है कि मोटापे को गंभीरता से लेने की जरूरत है और गतिहीन जीवन शैली के मद्देनजर प्राथमिकता के आधार पर लोगों को सही भोजन और व्यायाम पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ऐसे खाद्य पदार्थ खाएं जो पचाने में आसान हों। जब आपका पाचन अच्छा होता है, तो आपका शरीर आराम करना शुरू कर देता है और अन्य कार्यों पर ध्यान केंद्रित कर सकता है।
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आपके तंत्रिका तंत्र को शांत करने के लिए, विशिष्ट विटामिन और खनिज, जैसे मैग्नीशियम चिंता और नींद की बीमारी वाले लोगों की मदद कर सकता है। यह कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह और नींद प्रबंधन को नियंत्रित करने में भी मदद कर सकता है। मोटापे को एक बीमारी मानना चाहिए और इसे नियंत्रित करने के लिए आहार, जीवन शैली या चिकित्सा प्रबंधन जैसी सभी सावधानियां बरतनी चाहिए।
क्या कर सकते हैं?
विशेषज्ञों का कहना है कि हमें आगे बढ़ते रहने की ज़रूरत है ताकि एक घंटे से अधिक लगातार बैठे न रहें। इसके बाद 10-15 मिनट पैदल चलना या टहलना चाहिए। रोजाना 30 मिनट की वॉक, सीढ़ी चढ़ना, रात का खाना हल्का लेना और घर के कामों को करके भी मोटापा आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।
यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि यह शरीर के साथ दिमाग के लिए भी नुकसानदेह है। उन्होंने कहा कि अनहेल्दी खाने की आदतों आदि ने मोटापे के जोखिम को बढ़ा दिया है जिसके कारण कोविड-19 का जोखिम भी बढ़ गया है। इसलिए मोटे लोगों को अपने वजन के प्रति सतर्क रहने की आवश्यकता है।