उत्तराखंड ( Uttrakhand ) के बागेश्वर जिले के रमादी गांव के रहने वाले शख्स प्रकाश सिंह कार्कि 24 साल बाद अपने घऱ वापस लौटे है। कोरोना संक्रमण बढ़ने पर इस शख्स को अकेले रहने का डर सताने लगा। ऐसे में उसने किसी तरह पास बना लिया और अन्य प्रवासियों की तरह ही अपने गांव पहुंच गया।
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हालांकि जब ये शख्स अपने गांव ( Village ) पहुंचा तो इसे यहां किसी न नहीं पहचाना। जब उसने ग्रामीणों के साथ कुछ पुरानी बातें साझा की तो उन्हें उस पर भरोसा होने लगा। इस बात की भनक जब उसकी मां को लगी तो वह उससे मिलने चली गई, मां ने अपने बेटे को देखते ही पहचान लिया।
मां और परिवार का स्नेह मिलने के बाद प्रकाश ने भी आगे का जीवन गांव में बिताने का निर्णय लिया है। फिलहाल इस शख्स को एहतियात के तौर पर प्राथमिक विद्यालय में क्वारंटाइन ( Quarantine ) किया गया है। प्रकाश का जन्म कपकोट तहसील के दूरस्थ गांव रमाड़ी में हुआ था। तीन भाइयों में दूसरे नंबर के प्रकाश ने प्राइमरी की शिक्षा राजकीय प्राथमिक विद्यालय रमाड़ी से प्राप्त की।
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प्रकाश दो दशक से ज्यादा समय तक अपने परिवार से दूर रहा। इतने लंबे वक़्त बाद अपने बेटे को देखने के बाद मां बछुली देवी काफी खुश हुई। इस शख्स की मां ने कहा कि साल 1995 में वह हमसे कुछ भी कहे बिना चला गया था। उसके पिता और मैंने उसे बहुत खोजा, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ जिसके बाद मैंने उसे फिर से देखने की सारी उम्मीद खो दी।
24 साल बाद घर वापस आने के बाद प्रकाश सिंह कार्की का कहना है कि अब वह अपने परिवार को कभी छोड़कर नहीं जाएगा। प्रकाश ने बताया कि इस दौरान मैंने अपने माता-पिता और भाइयों को बहुत याद किया। अब जब मैं वापस लौट आया हूं, तो मैं फिर से नहीं जाऊंगा और केवल यहीं रहूंगा