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जवानों के लिए खूनी साबित हुआ फरवरी 2019, 1 तारीख से शुरू हो गया था काल का खेल

यह समय सशस्त्र बलों के लिए सबसे खराब समय में से एक
हाल ही में वायुसेना का तीसरा विमान दुर्घटनाग्रस्त
14 फरवरी के आतंकी हमले के बाद मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल समेत चार जवान एक मुठभेड़ में शहीद

Feb 20, 2019 / 11:51 am

Priya Singh

month february 2019 to be worst for indian jawans

जवानों के लिए खूनी साबित हुआ फरवरी 2019, 1 तारीख से शुरू हो गया था काल का खेल

नई दिल्ली। पिछले कुछ दिनों में विमान दुर्घटनाओं में भारतीय वायु सेना के तीन जवानों की मौत, पुलिवामा में हुए आत्मघाती हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों के शहीद होने और उसके बाद एक मुठभेड़ में चार जवानों के शहीद होने से यह समय सशस्त्र बलों के लिए सबसे खराब समय में से एक में तब्दील हो गया है। बेंगलुरू में मंगलवार को दो विमानों के बीच टक्कर में विंग कमांडर शाहिल गांधी की मौत हो गई। हिसार के रहने वाले शाहिल को जून 2004 में लड़ाकू स्ट्रीम में शामिल किया गया था। शाहिल भारतीय वायु सेना के सूर्य किरण एयरोबेटिक टीम के और बिदर स्थित 52 स्क्वाड्रन का हिस्सा थे।

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हाल के समय में वायुसेना की यह तीसरी विमान दुर्घटना है। इससे पहले 1 फरवरी को मिराज 2000 लड़ाकू विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें स्क्वाड्रन लीडर समीर अबरोल और सिद्धार्थ नेगी की मौत हो गई थी। उसके बाद 12 फरवरी को राजस्थान के पोखरन में वायु शक्ति अभ्यास से पहले एक मिग-27 दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, लेकिन पायलट इस दुर्घटना में बाल-बाल बचने में सफल रहा था। जम्मू एवं कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को सीआरपीएफ के काफिले पर हुए हमले में 40 जवान शहीद हो गए।

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इसके एक दिन बाद, मेजर चित्रेश सिंह नियंत्रण रेखा के पास आईईडी को डिफ्यूज करते वक्त शहीद हो गए। वहीं 18 फरवरी को, मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल समेत चार जवान एक मुठभेड़ में शहीद हो गए। मुठभेड़ में पुलवामा हमले का मास्टरमाइंड भी मारा गया। शांति के समय में सशस्त्र सेनाओं का मारा जाना पहले से ही चिंता का सबब बना हुआ है, लेकिन सेना के इतने सदस्य केवल 20 दिन की समयसीमा के अंदर शहीद हुए हैं।

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