दरअसल कोरोना ( Corona ) के मामले में एक दिक्कत ये पेश आती है कि इस बीमारी के लक्षण आम फ्लू ( Flu ) जैसे ही दिखाई पड़ते हैं। इसलिए इस कई बार लोग इसी चक्कर में उलझे रहते है कि कोविड ( COVID-19 ) का टेस्ट कराने की जरूरत है या नहीं।
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वैज्ञानिकों ने जिस प्रश्नावली को तैयार किया है, वह एक तरह का सर्वे ( Survey ) है। इसमें आपके किचन में मौजूद मसालों ( Spices ) और बूटियों को चखकर आपको जवाब देना होगा। भारत में इसके लिए विशेषज्ञों का एक समूह सांस की बीमारी होने पर सूंघने और स्वाद की शक्ति कम होने की थ्योरी पर काम कर रहा है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक वायरस ( Virus ) के संक्रमित होने पर 30% मामलों में स्वाद और गंध लेने की क्षमता पर असर पड़ता है। रॉयल सोसायटी की फैलोशिप पर यूके में मौजूद डॉ. रितेश ने बताया कि सार्स के बाद दक्षिण कोरिया ने सबसे पहले इस पर स्टडी की थी।
इस स्टडी ( Study ) में पता चला था कि ऐसे संक्रमण में 30% मामलों में स्वाद और गंध लेने की क्षमता पर असर पड़ता है। जिन देशों में एथिकल क्लीयरेंस मिल चुकी है, वहां के अस्पतालों में भी इसे लागू किया जा चुका है। भारतीय वैज्ञानिकों ने भी सूंघने की क्षमता को चेक करने के लिए प्रश्नावली और एप तैयार किया है।
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फिलहाल इसे भारत में लागू करने के लिए एथिकल अप्रूवल का इंतजार किया जा रहा है। पिछले तकरीबन डेढ़ दशक से स्वाद और सुगंध से जुड़े सेंसर पर काम कर रहे डॉ. अमोल ने बताया कि इसके अप्रूवल के मिलने के बाद इस प्रश्नावली या एप को भारत सरकार के आरोग्य सेतु के साथ जोड़ा जाएगा।