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ट्रेनों में मृत लोगों के नाम से बुक होती है सीट, सोती हुई आत्माओं को जगाने की नहीं करता कोई गुस्ताखी

पितृपक्ष के महीने में पूर्वजों को गयाजी ले जाने के लिए ट्रेन में परिजन कराते हैं टिकर बुक
हर साल इस महीने यहां बड़ी संख्या में आते हैं लोग

Sep 18, 2019 / 11:23 am

Priya Singh

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नई दिल्ली। भारतीयों में एक कला होती है हम हर किसी चीज को अपनी भावना से जोड़ लेते हैं। अब इस खबर को ही ले लीजिए यहां भारतीय रेल में मृत लोगों के लिए सीट रिजर्व की जाती है। बता दें कि ट्रेनों में पितरों के नाम पर सीट रिजर्व करते हैं और उन्हें गयाजी लाया जाता है। नारियल और बांस को पितृ माना जाता है। यह संस्कार गया में हर साल 15 दिन चलने वाले महासंगम के दौरान होता है। यहां पितृपक्ष के महीने में देशभर से कई हिंदू अपने पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए आते हैं। लकिन वे अपने टिकट के साथ अपने पूर्वजों का रेल टिकट काटकर उन्हें यात्रियों की तरह गया लेकर आते हैं।

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उनका मानना है कि ऐसा करने से वे अपने पूर्वजों के प्रति आस्था दिखाते हैं। हर साल इस महीने यहां बड़ी संख्या में लोग आते हैं। इस खास महीने में आपको ट्रेनों में बांस के डंडों पर नारियल लटका हुआ दिख जाएगा। ये पूरा संस्कार 7 दिन पहले शुरू होता है। पहले भगवदगीता पाठ का आयोजन होता है। इसके बाद सबसे पहले पितृदंड का ट्रेन में रिजर्वेशन कराया जाता है। वहीं बाकि के सदस्यों का टिकट बाद में कराया जाता है। पूरे रस्ते पितृदंड को बर्थ पर लिटाकर लाया जाता है। एक सामान्य यात्री की तरह टीटीई उनके टिकट चेक करते हैं। जो सदस्य पितृदंड के साथ सफर करते हैं वो दो-दो घण्टे बारी-बारी पहरा भी देते हैं। उनका ख्याल वैसे ही रखा जाता है जैसे एक बच्चे की सेवा की जाती है। पूरी सावधानी वे घर के सदस्य यहां अपने पूर्वजों को लाते हैं और उनका पिंडदान करते हैं।

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