कंपनी ने कहा है कि वह पब्लिक की ओर से ऑफर किए गए शेयर्स को नहीं ले रही है इसलिए कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट रहेगी और पहले ही की तरह काम करती रहेगी।
भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) ने वेदांता की डीलिस्टिंग रोकने में सबसे प्रमुख भूमिका निभाई। LIC के पास वेदांता की 6 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी है। LIC ने 320 रुपए प्रति शेयर के भाव पर खरीद की थी जिसे वेदांता मात्र 87.25 रुपए प्रति शेयर में बायबैक करना चाह रही थी। इस तरह आज की तारीख में LIC को लगभग तीन चौथाई से अधिक का नुकसान उठाना पड़ रहा था। इसी कारण LIC तथा अन्य कई निवेशकों ने डीलिस्टिंग का विरोध किया था।
सेबी के नियमों के अनुसार किसी भी कंपनी को डीलिस्टेड होने के लिए 90 फीसदी शेयर धारकों की अनुमति चाहिए। इसके लिए उनके स्पेशल रिजोल्यूशन पोस्टल बैलेट लाना होगा। यदि 90 फीसदी से अधिक शेयरधारक कंपनी को इस बात पर अपनी अनुमति दे देते हैं तो कंपनी डिलिस्टेड हो सकती है और वह प्राइवेट कंपनी के रूप में बदल सकती है।