बिलंदपुर के रहने वाले राकेश त्रिपाठी 18 साल की उम्र में घर छोड़कर मुंबई ( mumbai ) चले गए थे। बेटे के इंतजार में राकेश की मां चल बसी। इसके बाद पोती ने दादी की फोटो फेसबुक पर अपलोड करके श्रद्धांजलि दी। फेसबुक पर कई लोगों के दुख भरे संदेश आए, लेकिन इन सबके बीच एक संदेश ऐसा भी था जिसे देखकर घर वालों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। दरअसल, ये संदेश 32 साल पहले घर छोड़ चुके राकेश का था। राकेश ने अपने छोटे भाई से वीडियो कॉल पर बात की और जल्द घर आने की बात भी कही।
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वहीं उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh ) के बरेली ( Bareilly ) में फेसबुक एक परिवार के लिए किसी वरदान से कम साबित नहीं हुआ। यहां कटघर के रहने वाले परवेज का भाई जावेद साल 1980 में पिता के पीटने से नाराज होकर घर से भाग गए थे। ऐसे में जावेद का परिवार 37 सालों से उसे ढूंढ रहा था। वहीं 37 साल बाद जावेद फेसबुक के जरिए अपने परिवार से मिला। वो हैदराबाद ( Hyderabad ) की फिल्म सिटी में नौकरी कर रहा है।
यही नहीं एक और मामले में फेसबुक के द्वारा 12 साल पहले खोया एक बेटा अपने परिवार को मिला। साल 2001 में अंकुश की मां ने उसकी पिटाई कर दी थी, जिसके बाद वो घर से भाग गया था। इसके बाद वो गुरुद्वारे के बाहर रहने लगा और यहां लोगों के सेवा करते-करते उसने गुरुबानी भी सीख ली। इसके बाद वो सिख बन गया। उसका नाम अंकुश से गुरुबाज सिंह हो गया। इस बीच उसने कई बार परिवार को ढूंढने की कोशिश की, लेकिन वो नहीं मिले। एक दिन उसने फेसबुक पर अपने छोटे भाई को ढूंढने की कोशिश की। फेसबुक पर छोटा भाई मिला और अंकुश ने उसे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज दी। इसके बाद अंकुश अपने परिवार से मिल गया। इस घटना को जान लोग यकीन नहीं कर पा रहे, लेकिन ये सब कमाल हुआ फेसबुक के माध्यम से। नजाने ऐसे कितने ही परिवार अपने बिछुड़ों से फेसबुक के माध्यम से मिले हैं।