दिंगालेश्वर स्वामी को उत्तराधिकारी बनाने पर सभी राजी[typography_font:14pt;” >हुब्बल्लीवीआरएल समूह संस्था के चेयरमैन डॉ. विजय संकेश्वर ने कहा कि दिंगालेश्वर स्वामी ने बालेहोसूर में अच्छी तरह मठ चला रहे हैं। इन्हें उत्तराधिकारी बनाने का मौजूदा मूरुसाविरमठ के मठाधीश गुरुसिध्दराजयोगींद्र स्वामी ने फैसला लिया था। साथ ही मठ के सभी प्रमुखों को भी बताया था। इसके चलते मूरुसाविरमठ के मठाधीश के निर्देशानुसार हम सभी दिंगालेश्वर स्वामी को उत्तराधिकारी बनाने को राजी हुए हैं। शहर के पत्रकार भवन में सोमवार को मूरुसाविरमठ का उत्तराधिकारी नियुक्त करने को लेकर चल रहे विवाद के बारे में डॉ. संकेश्वर ने कहा कि हुब्बल्ली के मूरुसाविरमठ में गुरूसिध्दराजयोगींद्र स्वामी के आने के बाद मठ की गतिविधियां कम हुई हैं। इन्होंने अदालती कार्यों के लिए ऋण लिया था। इसे दिंगालेश्वर स्वामी ने रुपए देकर चुकाने के साथ समाधान किया है। उन्होंने कहा कि दिंगालेश्वर स्वामी को उत्तराधिकारी बनाने को लेकर अदालत का एक हलफनामा बनाकर 52 प्रमुखों ने हस्ताक्षर किया था। इसके बाद दिंगालेश्वर स्वामी पर कई आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं। अब उत्तराधिकारी का विवाद सामने आया है। इसके चलते स्वामी ने हमारा नाम लिया है तो हम सच्चाई बताने आए हैं। मौजूदा मूरुसाविरमठ के मठाधीश गुरुसिध्दराजयोगींद्र स्वामी ने मठ की कई संपत्तियों को बेचा है। मठ का विकास भी नहीं किया है। गुरुसिध्दराजयोगींद्र स्वामी को उत्तराधिकारी विवाद का चर्चा के जरिए समाधान करना चाहिए। गुरुसिध्दराजयोगींद्र स्वामी तथा दिंगालेश्वर स्वामी को मिलकर मठ का विकास करना चाहिए। गुरुसिध्दराजयोगींद्र स्वामी ने अपने स्वार्थ के लिए मठ को पतन की ओर ले गए हैं। डॉ. संकेश्वर ने कहा कि गुरुसिध्दराजयोगींद्र स्वामी को केवल रोना, मठ छोड़कर भागना मात्र पता है। मठ की संपत्ति को खुद के लिए बेचने के दस्तावेज हैं। दिंगालेश्वर स्वामी के खिलाप झूठे आरोप लगाए गए हैं। बिना तत्य के उन्हें दोषी के तौर पर पेश किया गया है। इसके चलते दिंगालेश्वर स्वामी को 23 फरवरी को मठ में लाने के जरिए गुरुसिध्दराजयोगींद्र स्वामी को वीरशैव समाज के लिए सुविधा करनी चाहिए।