हालांकि यह क्षेत्र 2004 तक कांग्रेस का गढ़ रहा था लेकिन 2009, 2014 और 2019 में मोदी लहर की मदद से भाजपा ने अपनी पैठ बनाई। 2009 में जब बल्लारी के रेड्डी बंधुओं का दबदबा था तब भाजपा ने तीन सीटें और कांग्रेस ने दो सीटें जीती थीं। 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय राजनीति में आए, तब भी यही परिणाम दोहराए गए। खरगे ने लोगों से पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवारों को चुनकर उनकी हार का बदला लेने का आह्वान किया। 2019 में जब मोदी ने दूसरी बार सत्ता में आने की कोशिश की, तब भगवा पार्टी ने इस क्षेत्र की सभी पांच सीटें जीतकर इस क्षेत्र में अपना परचम लहराया। पांच साल बाद दोनों दलों के बीच सत्ता का संतुलन पूरी तरह से कांग्रेस की ओर झुका हुआ है क्योंकि उसके उम्मीदवारों ने सभी पांच सीटों पर जीत हासिल की है। सागर ईश्वर खांड्रे ने बीदर में केंद्रीय मंत्री भगवंत खुबा को हराया। राधाकृष्ण डोड्डामनी ने गुलबर्गा में उमेश जाधव को हराया। जी. कुमार नाइक ने रायचूर में राजा अमरेश्वर नाइक के खिलाफ जीत हासिल की। के. राजशेखर हितनाल ने कोप्पल में बसवराज को हराया और ई. तुकाराम ने बेल्लारी में बी. श्रीरामुलु के खिलाफ जीत हासिल की।
खरगे ने देशभर में प्रचार किया था लेकिन उन्होंने अपने गृह क्षेत्र गुलबर्गा और कल्याण कर्नाटक के अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में सार्वजनिक रैलियों को संबोधित करने और पार्टी के कार्यकर्ताओं को चुनावी रणनीतियों पर मार्गदर्शन देने में अधिक समय बिताया। उनके प्रयासों से वांछित परिणाम मिले, जिससे पार्टी में उनकी स्थिति मजबूत होने की उम्मीद है।
2019 के लोकसभा चुनावों में खरगे की हार ने गुलबर्गा और बीदर निर्वाचन क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनकी 2019 की हार का बदला लेने के उनके आह्वान ने लोगों के दिलों को छू लिया। उधर भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और कुछ क्षेत्रों में उनके हिंदुत्व एजेंडे पर बहुत अधिक निर्भर थी। पिछले चुनावों की तुलना में इस चुनाव में मोदी की लोकप्रियता वोटरों को लुभाने में कामयाब नहीं हो पाई।
कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए किए गए विकास कार्यों पर भरोसा किया। ईएसआई अस्पताल परिसर की स्थापना, कर्नाटक केंद्रीय विश्वविद्यालय, जयदेव हृदय विज्ञान और अनुसंधान संस्थान की इकाई, कलबुर्गी हवाई अड्डा और रेल कोच फैक्ट्री के अलावा क्षेत्र में राजमार्ग और रेल नेटवर्क का विस्तार समेत कई ऐसे अनेक विकास के कामों ने मतदाताओं को कांग्रेस की तरफ मोड़ा। कर्नाटक में कांग्रेस सरकार द्वारा लागू की गई पांच गारंटियों ने भी क्षेत्र में कांग्रेस के पक्ष में अपनी भूमिका निभाई।