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Education: पांच साल से नहीं हुआ पीयू कॉलेजों में शुल्क संशोधन, इस साल भी आसार कम

पिछली बार फीस को पांच साल पहले 2018-19 में संशोधित किया गया था

हुबलीMay 09, 2024 / 04:03 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

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कर्नाटक के पीयू कॉलेजों में पांच साल से शुल्क संशोधन नहीं किया गया है। इस साल भी इसकी संभावना कम नजर आ रही है। इसका एक कारण आचार संहिता लागू होना भी बताया जा रही है। पिछली बार फीस को पांच साल पहले 2018-19 में संशोधित किया गया था। तब से महामारी और अन्य वित्तीय कठिनाइयों के कारण फीस को संशोधित नहीं किया गया। स्कूल शिक्षा विभाग (प्री यूनिवर्सिटी) ने सरकारी कॉलेजों में पीयू पाठ्यक्रमों के लिए फीस में संशोधन का प्रस्ताव प्रस्तुत किया है। हालांकि शैक्षणिक वर्ष 2024-25 के लिए संशोधन की संभावना बहुत कम है। विभाग ने जनवरी 2024 में फीस को कम से कम 20 से 30 प्रतिशत संशोधित करने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया था। हालांकि सरकार ने अभी तक प्रस्ताव पर कोई फैसला नहीं लिया है। कुछ ही दिनों में दसवीं के नतीजे आने की उम्मीद है, जिसके बाद प्री यूनिवर्सिटी में प्रवेश शुरू हो जाएगा। संसदीय चुनावों के लिए आदर्श आचार संहिता 4 जून तक लागू रहेगी, तब तक इस मामले पर कोई निर्णय होने की संभावना नहीं लगती। वित्त विभाग ने भी अभी तक प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी है।
सरकार को प्रस्ताव भेजा
2024-25 के शैक्षणिक वर्ष के लिए पीयू पाठ्यक्रमों के शुल्क संशोधन के संबंध में सरकार को एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। यदि सरकार शुल्क में संशोधन नहीं करती है, तो पिछले वर्ष का शुल्क जारी रहेगा। वर्तमान में सरकारी कॉलेज में छात्राओं एवं एससी-एसटी छात्रों के लिए मुफ्त शिक्षा प्रदान करते हैं। पिछली बार फीस को पांच साल पहले 2018-19 में संशोधित किया गया था और तब से महामारी और संबंधित वित्तीय कठिनाइयों के कारण फीस को संशोधित नहीं किया गया है। 2018-19 में सरकार ने फीस में 60 फीसदी और उससे पहले 2013-14 तक 30 फीसदी की बढ़ोतरी की थी। विभाग ने न केवल वार्षिक शुल्क, बल्कि प्रयोगशाला शुल्क, परीक्षा शुल्क सहित अन्य श्रेणियों में 20 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है। इस शुल्क संशोधन से निजी कॉलेजों की फीस संरचना प्रभावित नहीं होगी क्योंकि उनकी अपनी फीस संरचना है और सरकार उनकी फीस पर निर्णय नहीं लेती है।

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