एक कोरोना योद्धा ऐसा भी!
एक कोरोना योद्धा ऐसा भी!
-ऑटोचालक जितेंद्र अब तक 15 हजार मरीजों को पहुंचा चुके हैं अस्पताल
कोल्हापुर
कोल्हापुर का एक कोरोना योद्धा ऐसा भी है जिसका नाम सरकारी दफ्तर में कहीं भी कोरोना योद्धा के तौर पर कहीं भी पंजीकृत नहीं है लेकिन वह कोरोना योद्धा ही है।
कोल्हापुर निवासी ऑटोचालक जितेंद्र शिंदे का कोरोना के समय किया समाज सेवा कार्य आदर्श है। वह सीधा-सादा ऑटोचालक है। लॉकडाउन का असर उस पर भी हुआ लेकिन अपने दु:ख की अनदेखी कर वह समाज की मदद कर रहा है। उसने कोरोना के समय में लगभग 15 हजार मरीजों को अस्पताल में मुफ्त पहुंचाया है। ऐसे समय में जबकि कोई मदद को नहीं आता वह सदा लोगों की मदद को तत्पर रहा। उसे यह ऊर्जा उसके साथ हुए एक हादसे ने दी।
उसने बताया कि पांच साल पहले उसकी मां और बहन को तुरंत एम्बुलेंस (रुग्णवाहिका) की जरूरत थी। उसने बहुत कोशिश की लेकिन रुग्णवाहिका नहीं मिली। उसी हतबलता ने जिंदगी में उसे एक सबक सिखाया। वह कहता है कि तब से ही वह लोगों को सेवाएं दे रहा है। कोरोना संसर्ग में उसकी यह सेवा बड़ी महत्त्वपूर्ण रही।
कोल्हापुर के इस ऑटोचालक ने कोरोना समय में अबतक 15 हजार लोगों को मुफ्त में अस्पताल में पहुंचाया है। उसे मार्च 2020 के कोरोना समय से मुफ्त सेवा देना शुरू किया। जितेन्द्र ने बताया कि उसकी दृष्टि में ऑटो में बैठने वाला हर आदमी महत्त्वपूर्ण है। उसका नाम और मोबाइल नंबर वह अपनी डायरी में लिखता है। उनको भविष्य में उसकी जरूरत लगी तो तुरंत उनकी सेवा में हाजिर हो जाता है। उसने अब तक कई दुर्बल और गर्भवती महिलाओं को मुफ्त में सेवा दी है। इसके साथ लगभग कोरोना के एक हजार से ज्यादा मरीजों को सेवा दी है।
शिंदे के पास दिनभरमें 100 से ज्यादा फोन आते हैं। इसके लिए अपनी ओर के साढ़े तीन लाख रुपए खर्च किए है। दिनभर में 200 रुपए ईंधनपर खर्चा करते हैं। यही रकम ज्यादातर उनकी बचत से इस्तेमाल होती है। शिंदे सिर्फ मरीजों को मुफ्त सेवा देते है ऐसा नहीं है। साथ ही में कोरोना सेंटर और अस्पताल के मुहैया होने वाले बेड की जानकारी रखते है और जरूरतमंद तक पहुंचाते हैं। होम आइसोलेशन होने वाले मरीजों और बाकी लोगों को दवाई और जरूरी वस्तु मुहैया कराते है। कोरोना पॉजीटिव रोगी की लाश पर कोई हक नहीं जताता है तो वह लाश भी अंत्यविधि के लिए श्मशान भूमि में पहुंचाता है। समाज को कर्तव्य से ज्यादा योगदान देने वाले कोल्हापुर के इस ऑटोचालक को देश के महिंद्रा गु्रप ने सलाम किया है।
वह बताता है कि उसे किसी पैसेंजर का फोन आता है और वह उसका आभार व्यक्त करता है तो उसे बहुत संतोष होता है। यही आनंद उसे बड़े उत्साह के साथ काम करने की ऊर्मी देता है। वही हर दिन उसे काम करने की प्रेरणा भी देता है।
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