दशक की मांग
दक्षिण भारत का चेरापूंजी कहलाने वाले आगुंबे घाट की सड़क की चौड़ाई की मांग दशक पुरानी है। सड़क की श्रेणी को यदि विकसित किया जाए तो इससे शिवमोग्गा- उडुपी- मंगलूर सड़क संपर्क व्यवस्था में बदलाव होगा। इससे भारी वाहनों की आवाजाही में काफी सुविधा होगी।संकरी हो गई सड़क
आगुंबे घाट में 14 मोड़ हैं। इनमें सात मोड़ शिवमोग्गा जिले के अंतर्गत तथा सात मोड़ उडुपी के अंतर्गत स्थित हैं। सड़क (छोटी) संकरी हो गई है। बारिश के दिनों में कई जगह पर सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई है। इसी वजह से भारी वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है। भले ही सड़कों का डामरीकरण किया गया हो, कंक्रीट की सड़कें बनी हो इसके बावजूद सड़कें क्षतिग्रस्त हो जाती है।अनुमति है आवश्यक
एक ओर जहां पश्चिमी घाट के अंतर्गत स्थित आगुंबे घाट की सड़क की चौड़ाई बढ़ाने के लिए केंद्रीय पर्यावरण, वन मंत्रालय से अनुमति प्राप्त करना आवश्यक है वहीं दूजी ओर पर्यावरण प्रेमी सड़क की चौड़ाई बढ़ाने के विरोध में हैं। सड़क की चौड़ाई बढ़ाने की वजह से जीव जंतु, वन संपदा प्रभावित हो सकती है। जापान देश की तकनीक का उपयोग कर घाटी क्षेत्र में सुरंग मार्ग के जरिए सड़क को विकसित करने की योजना थी। विशेषज्ञों के अनुसार सुंरंग बनाकर सड़क को विकसित करना खर्चीला है घाटी क्षेत्र में अधिक बारिश होती है अत: सुरंग मार्ग उचित नहीं। इससे सुविधा कम तथा जोखिम अधिक है। अत: इस प्रस्ताव को मंजूर नहीं किया गया।सांसद का प्रयास
आगुंबे सड़क की चौड़ाई बढ़ाने की अपील सांसद बीवाई राघवेंद्र ने केद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से की थी। सांसद बीवाई राघवेंद्र की विशेष पहल की वजह से केंद्रीय परिवहन मंत्रालय की ओर से सड़क की चौड़ाई बढ़ाने संबंधित डीपीआर तैयार करने की अनुमति दी गई है।विकसित होंगी सड़कें
निट्टूरु-बैंदूरु-कोल्लूरु तक 38 किमी लम्बी सड़क को विकसित करने की अनुमति केंद्रीय भूमि परिवहन मंत्रलय की ओर से योजना रिपोर्ट तैयार कर अनुमति दी गई है। राष्ट्रीय राजमार्ग के सूत्रों के अनुसार सड़क के विकास के लिए 450 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं। सड़क विकास में कोल्लूरु घाट की 10 कि मी लम्बी सड़क की चौड़ाई बढ़ाने का कार्य भी शामिल है।