शाहीन बाग प्रदर्शनकारियों और वार्ताकारों के बीच बातचीत बेनतीजा, गुरुवार को फिर होगा प्रयास
इस वजह से टाली गई सुनवाई…
यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (यूआईडीएआई) को स्थानीय पुलिस की ओर से रिपोर्ट भेजी गई थी। जिसमें कहा गया कि प्राथमिक जांच में सामने आया कि अवैध प्रवासियों ने गलत तरीके से आधार नंबर प्राप्त किए हैं, जबकि वह इसके लिए पात्र नहीं थे। हालंकि आधार कार्यालय ने ट्वीट कर यह जानकारी दी कि इस सुनवाई को मई माह तक टाल दिया गया है। पुलिस की ओर से बताया गया कि उक्त लोगों को उन सभी दस्तावेज इकट्ठा करने में समय लगेगा जिनके आधार पर उन्होंने आधार के लिए आवेदन किया था।
जुटाने लगे पेपर…
नाम न बताने की शर्त पर एक पीड़ित व्यक्ति ने बताया कि वह अपने सारे पेपर जुटाने में लगा हुआ है।
पुनर्वापसी पर मरांडी ने किए कईं खुलासे, बोले-‘अचानक नहीं हुआ है विलय, हर जिम्मेदारी निभाने को तैयार’
लोगों को आशंका एनपीआर की है तैयारी…
इधर लोगों ने सरकार की ओर से राज्य में पिछले दरवाजे से एनपीआर लागू करने की आशंका व्यक्त की है। सामजिक कार्यकर्ता खालिद हसन ने बताया कि आधार कार्यालय की आड़ में तेलंगाना सरकार एनपीआर का ही काम करने की साजिश रच रही है। पुलिस तथा आधार कार्यालय को इस्तेमाल किया जा रहा है।
आधार प्राधिकरण ने दी यह दलील…
दूसरी तरफ, आधार प्राधिकरण की ओर से यह भी कहा गया कि आधार कार्ड नागरिकता का दस्तावेज नहीं है। कोई भी व्यक्ति आधार के लिए आवेदन देने से पहले भारत में 182 दिन तक रहा हो तो वह आवेदन दे सकता है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय के आधार पर प्राधिकरण का यह कहना है कि किसी अवैध प्रवासी व्यक्ति को आधार नंबर जारी न हो इसलिए उसकी निवास की अवधि को जांचने का अधिकार उसे प्राप्त है। अगर उसमें कोई भी गड़बड़ी पाई जाती है तो उस आधार नंबर को रद्द करने या निलंबित करने का प्रावधान आधार क़ानून में है।
कभी नहीं देखा होगा ऐसा सामूहिक विवाह सम्मेलन, हर मायने में है खास
सांसद ने उठाया सवाल…
हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने आधार प्राधिकरण पर तेलंगाना पुलिस को ट्वीट करके मांग की है कि गलत दस्तावेजों के सहारे आधार बनवाने वालों में कितने मुस्लिम और दलित नागरिक शामिल हैं यह बताएं। सांसद ने मांग की है कि तेलंगाना पुलिस अति शीघ्र जांच के नाम पर जनता से आधार कार्ड मांगना बंद करें क्योंकि पुलिस को इसका कोई अधिकार नहीं है।