बस्तर के सबसे अधिक विस्थापित तेलंगाना के भद्राद्री कोठागुड़ेम, मुलुगु और आंध्रप्रदेश के पूर्वी और पश्चिमी गोदावरी जिले में रह रहे हैं। तेलंगाना में निवासरत आदिवासियों की संख्या लगभग 35 हजार तथा आंध्रप्रदेश में 5 हजार लोग निवासरत हैं पर वहां के अफसर उन्हें वहां भी रहने नहीं देना चाहते। आलम यह है कि दोनों प्रदेशों ने पिछले दो सालों में इनके क़ब्ज़े की बहुत सी ज़मीन इनसे वापस लेकर उस पर सरकारी पौधारोपण कर दिया है। जिसकी वजह से यह आदिवासी अब पुन: भूमिहीन हो गए हैं।
बस्तर के इन विस्थापितों को वापस लाने प्रयास किए जा रहे हैं पर यह फलीभूत नहीं हो पा रहा है। इस पर समाजसेवी शुभ्रांशु का कहना है कि जब तक इस कार्य को सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ नहीं किया जाएगा तब तक इसमें अपेक्षित सफलता मिलना आसान नहीं होगा। इसमें केंद्र सरकार के साथ साथ छग,आंध्र और तेलंगाना की सरकारों को भी पहल करनी होगी। आंध्र और तेलंगाना के अधिकारी बताते हैं कि उन्हें स्पष्ट अलिखित निर्देश हैं कि इन विस्थापितों को जंगल में नहीं रहने दिया जा सकता, यह या तो छत्तीसगढ़ वापस जाएं या फिर ये हमारे शहरों में झुग्गियों में रह सकते हैं। यदि इन्हें जंगल में रहने दिया गया तो आज नहीं तो कल नक्सली आंध्र और तेलंगाना में घुसने के लिए इनका लांचिंग पैड की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं।
विस्थापित आदिवासियों को लेकर द न्यू पीस प्रोसेस नामक सामाजिक संस्था पिछले एक माह से विस्तृत सर्वे कर रही है। उसके मुताबिक तेलंगाना के मुलुग जिले में निवासरत 33 परिवारों ने बीजापुर जिले के भोपालपटनम में लौटने की मंशा जताई है। लगभग एक हजार लोगों ने छग सरकार को आवेदन सौपकर एफआरए की धारा 3.1 एम के तहत अपने पुनर्वास की मांग की है इसके तहत विस्थापित आदिवासी को उस राज्य में उतनी ही जमीन दी जा सकती है जितनी वह अपने राज्य में छोडक़र आया है। इस मामले में राज्य सरकार की ओर से अब तक कोई पहल नहीं हुई है।
सलवा जुडूम का मैंने विरोध किया था। जो आदिवासी बस्तर छोडक़र आंध्रप्रदेश-तेलंगाना में चले गए हैं उन्हें वापस लाने भूपेश बघेल सरकार गंभीर है। सीएम के निर्देश पर सुकमा,दंतेवाड़ा और बीजापुर से अधिकारियों के दल प्रभावितों से मिलने गए थे। अफसरों की रिपोर्ट अभी कंपाइल हो रही है। उसे सीएम के सामने पेश किया जाएगा। जो भी लोग वापस आना चाहेंगे उन्हें पूरी सुरक्षा और रहने के लिए जमीन प्रदान की जाएगी।
कवासी लखमा, प्रभारी मंत्री बस्तर