जल्दबाजी में हो गई बड़ी भूल
शिक्षकों ने बताया, मार्च में सभी स्कूलों ने प्रायोगिक परीक्षा के अंक मंडल को भेज दिए थे। इसके बाद रिजल्ट जारी होने के तीन से चार दिन पहले मंडल ने एक बार फिर स्कूलों से संपर्क कर अंक भेजने के लिए कहा। स्कूलों ने दोबारा अपने-अपने विद्यार्थियों के अंक आयोग को भेजे, लेकिन परिणाम घोषित करने की जल्दबाजी में मंडल कुछ विद्यार्थियों की अंकसूची में प्रायोगिक परीक्षा के अंक चढ़ाना भूल गया।कई बच्चे हुए फेल
मंडल की यह गलती उन विद्यार्थियों पर भारी पड़ गई, जो अंक नहीं जुड़ने के कारण फेल हो गए। कुछ विद्यार्थियों की अंकसूची में प्रैक्टिकल एक्जाम के अंक नहीं जोड़े गए थे तो कुछ को अनुपस्थित बता दिया गया था। जब ये विद्यार्थी शिकायत लेकर स्कूल पहुंचे तो स्कूल प्रबंधन ने जिम्मेदार अधिकारियों को इस गलती से अवगत करवाया। इसके बाद मंडल ने एक बार फिर इन विद्यार्थियों के अंक बुलवाए हैं। अब ये अंक जोड़कर नई अंकसूची बनाई जाएगी।जिम्मेदार डाल रहे पर्दा
मंडल की इस गलती के कारण जिले के 500 से अधिक विद्यार्थी प्रभावित हुए हैं। इधर, जिम्मेदार अफसर मंडल की इस भूल को दबाने में लगे हैं। वे चार-पांच विद्यार्थियों का मामला बताकर इस पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि कई प्राइवेट और सरकारी स्कूल स्टूडेंट्स के प्रैक्टिकल एग्जाम के अंक दोबारा भेज रहे हैं।दोबारा जारी नहीं होगा रिजल्ट
जब भी इस तरह की गलती सामने आती है, तो ऐसे में परिणाम दोबारा घोषित नहीं किए जाते हैं। बल्कि जिन बच्चों के नंबर जोड़े नहीं जा सके हैं, उनके नंबर जोड़कर नई मार्कशीट जारी की जाती है।-वंदना तोमर, अध्यापिका