सुबह से ही ब्रिज की स्थिति देखने के लिए सिविल इंजीनियर अतुल सेठ सहित एसजीएसआईटीएस के प्रोफेसर भी पहुंचने लगे थे। इन्होने ब्रिज को नीचे कबूतरखाना के हिस्से से पूरी तरह से देखा। यहां ब्रिज के टूटे पीलर को देखने के साथ ही उसके आसपास की स्थितियां भी देखी। इंजीनियर्स के मुताबिक यहां ब्रिज के पीलर का जो हिस्सा टूटा है, उसके आगे के हिस्से मे नदी को भराव कर बंद कर दिया गया था। वहीं ब्रिज के पीलर के आगे के हिस्से में जहां पानी का कटाव होता है वहां पर ही बने चेंबर का निर्माण कर लिया गया था। ये सभी पानी की डेनसिटी और रिवर्स वाटर का कारण बनते हैं जिससे इस पुल के पीलर को ज्यादा नुकसान हुआ।
पुल के नीचे के बीम भी टूट रहे
इस पुल के नीचे के हिस्से में भी जो बीम डले हैं वो भी टूटने लगे हैं। तीन बीम की हालत सबसे ज्यादा खराब है। इन बीमों के सरीए बाहर निकल रहे हैं। इंजीनियर्स के मुताबिक निगम ने इस ब्रिज का बरसों से मेंटेनेंस नहीं किया था। जिसके कारण ब्रिज के पीलर और बीम दोनों ही खराब हो गए हैं।
हल्के वाहन गुजर सकते हैं
सिविल इंजीनियर सेठ के मुताबिक ये ब्रिज अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। ब्रिज को हमेशा एक टैंक से भी ज्यादा का वजन झेलने के लायक बनाया जाता है। इसका जो पीलर टूटा हुआ है वो भी पूरी तरह से नही ढ़हा है, उसको सुधारा जा सकता है। जो बीम भी टूटे हैं वो भी सुधारे जा सकते हैं। इस पूरे पुल को खत्म करने के बजाए इसे थोड़े सुधार के बाद एक माह में ही वापस से शुरू किया जा सकता है।
एक्सपर्ट की नजर में गलतियां
– पुल के किनारों पर ही पेड-पौधे उगते रहे उसे हटवाया तक नहीं गया।
– पुल के नीचे बीम टूटते रहे, लेकिन मेंटेनेंस नहीं किया। – नदी में भराव कर उसे छोटा करने से भी पानी का प्रेशर बढ़ा।
– नदी के उपर से गुजर रहे पाइप लाइन्स के नीचे की सफाई करवाते रहने के बजाए उस पर सीमेंट डालकर बंद कर दिया गया। जिससे सफाई नहीं हो पाई।
– ब्रिज के नीचे से पानी निकलने की जगह बंद कर दी गई, लेकिन उसे भी नहीं रोका गया।
– नदी सफाई के दौरान भी पुल का ध्यान नहीं रखा गया। जिससे पुल की स्थिति भी बिगड़ी।