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इंदौर

भ्रष्टाचार के खिलाफ लडऩे वाले परेशान

रिश्वत मांगने वालों को ट्रैप कराने के बाद बढ़ी फरियादियों की परेशानी

इंदौरOct 13, 2019 / 09:42 pm

प्रमोद मिश्रा


प्रमोद मिश्रा

इंदौर. सत्य परेशान हो सकता है, लेकिन हार नहीं सकता। यह लोकोक्ति कई मौकों पर कही जाती है। लेकिन सरकारी सिस्टम में भ्रष्टाचार इस कदर हावी है कि सच्चाई, ईमानदारी की आवाज उठाने वाले को ‘घर बैठनेÓ पर मजबूर कर दिया जाता है। ऐसे में कौन व्यक्ति भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े होने की हिम्मत दिखा पाएगा। भ्रष्टाचार उजागर करने वाले व्हिसल ब्लोअर को मित्रों और लोगों से वाहवाही तो मिलती है, लेकिन काम वहीं अटका दिया जाता है। हाल ही में रिश्वत के खिलाफ आवाज उठाने का साहस दिखाने वालों की स्थिति देखें, तो उनकी ईमानदारी के खिलाफ पूरा सिस्टम ही रोड़े अटकाते नजर आता है।
1 अक्टूबर २०१९ को खलघाट में निजी स्कूल के कर्मचारी राज्य बीमा के दायरे में नहीं थे। विभागीय अधिकारी जितेंद्र गुप्ता स्कूल पहुंचे और स्कूल संचालक हेमंत राजौरे से ईएसआइसी रजिस्ट्रेशन के एवज में रिश्वत मांगी। राजौरे ने लोकायुक्त को शिकायत की, जिस पर गुप्ता को 10 हजार की रिश्वत लेते पकड़ा। हेमंत बताते हैं कि कार्रवाई के बाद भी विभाग की ओर से अब तक स्कूलों को योजना में शामिल करने के लिए कोई नोटिस नहीं दिया है। यही स्थिति अन्य मामलों में भी बनी हुई है।
केस 1 : पीडब्ल्यूडी
५० लाख के भुगतान के एवज में मांगे लाखों

31 जुलाई २०१९ को लोकायुक्त ने पीडब्ल्यूडी के कार्यपालन यंत्री धर्मेंद्र जायसवाल को उनके बंगले पर बने ऑफिस में 3 लाख की रिश्वत लेते पकड़ा। महू-जुलवानिया रोड निर्माण के एवज में ठेकेदार मेहरुद्दीन खान निवासी खरगोन के करीब 50 लाख के बकाया बिल के भुगतान के एवज में रिश्वत राशि मांगी थी।
चक्कर काटकर थक चुका हूं, अब घर बैठ गया हूं
ठेकेदार मेहरुद्दीन खान ने बताया, रिश्वत मांगने वाले को ट्रैप कराने के बाद भी बकाया बिल का भुगतान नहीं हुआ। बिल की प्रक्रिया पूरी होने के बाद वरिष्ठ अफसरों के चक्कर लगाए, लेकिन 17 लाख अब तक नहीं दिए। क्यों पैसा रोका है पता नहीं, अब तो मैंने चक्कर लगाना छोड़ दिया है, घर बैठ गया हूं। सोचता हूं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम उठाकर ठीक तो किया? बाकी पैसा जारी होने का इंतजार कर रहा हूं।
केस 2 : सिविल अस्पताल
१४ हजार के बिल पर मांगे १० हजार
1 अक्टूबर 2019 को सिविल अस्पताल कुक्षी के ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर जयंतीलाल खन्ना को 10 हजार की रिश्वत लेते रंगेहाथों पकड़ा। आवेदक विजय बघेल की कुक्षी अस्पताल में बोलेरो अटैच थी। दो बिल के भुगतान के लिए 10 हजार की रिश्वत मांगी तो बघेल ने लोकायुक्त को गुहार लगाई।
कार्रवाई के बाद बंद कर दी गाड़ी
बघेल के मुताबिक, बोलेरो टैक्सी विभाग में अटैच थी। पुराने बिल के एवज में साढ़े 4 हजार और नए 14 हजार के बिल के एवज में साढ़े 6 हजार की रिश्वत मांगी थी। लोकायुक्त की कार्रवाई के बाद लगा था कि सब ठीक हो जाएगा लेकिन यहां तो उल्टा हो गया। विभाग के अफसर ने मेरी गाड़ी बंद कर दी। ड्राइवर से दस्तावेज पर हस्ताक्षर कराने की कोशिश की। ट्रेप कराने के बाद अफसर मुझे परेशान कर रहे हैं।
केस 3 : नगर निगम
वेतन के एवज में ५-५ हजार की मांग

22 नवंबर 2017 को 11 मस्टरकर्मियों की तरफ से दरोगा अनिल ने शिकायत को तो सीएसआइ मुकेश करोसिया को लोकायुक्त ने 20 हजार की रिश्वत लेते पकड़ा था। आरोप लगाया, जोन क्रमांक 13 के 11 अस्थायी कर्मचारियों का वेतन निकालनेे के एवज में करोसिया ने 5-5 हजार रुपए की मांग की थी।
मस्टरकर्मियों को निकाला, दरोगा का ट्रांसफर
जिन 11 मस्टरकर्मियों की तरफ से शिकायत की गई थी, उन्हें नौकरी से हटा दिया। दरोगा का जोन बदल दिया। मस्टरकर्मियों ने नौकरी से हटाने पर लोकायुक्त की शरण ली। तत्कालीन एसपी दिलीप सोनी ने निगम आयुक्त को पत्र लिखा लेकिन नौकरी पर नहीं रखा गया। डीएसपी संतोषसिंह भदौरिया के मुताबिक, करोसिया के मामले में चालान की अनुमति मांंगी है लेकिन वह अब तक नहीं दी है।

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