कोरोना महामारी में भारत फार्मा सेक्टर में एक बड़ी शक्ति बनकर उभरा। हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन, क्लोरोक्वीन, पैरासिटामोल सहित बीपी, शुगर अन्य एंटीबॉयोटिक दवाइयां भारत ने पूरी दुनिया को सप्लाय की। सच्चाई ये है कि इन सभी दवाइयों का कच्चा माल चीन से आता है। दोनों देशों के बीच सीमा पर खड़े हुए विवाद के बाद पड़ोसी ने हरकतें शुरू कर दी हैं, जिसका असर भारत की फार्मा इंडस्ट्री पर भी पडऩा शुरू हो गया है।
चीन ने फार्मास्यूटिकल एपीआई यानी रॉ मटेरियल व केमिकल्स के भाव में 20-2५ प्रतिशत बढ़ोतरी कर दी है। इस फेहरिस्त में एजिथ्रोमायसिन, डेक्सामिथाजोन, सैनिटाइजर में लगने वाला आइसो प्रोपाइल एल्कोहल सहित कई का कच्चा माल शामिल है।
कुछ दवा के सप्लाय में भी वह आनाकानी कर रहा है। उसे मालूम है कि फार्मा रॉ मटेरियल इससे सस्ता दुनिया में कोई सप्लाय नहीं कर सकता। दूसरी तरफ वर्तमान में भारत खुद बनाने की स्थिति में नहीं है। चीन की हरकत का असर जल्द ही भारत के दवा बाजार पर भी पड़ेगा, क्योंकि कंपनियों को मजबूरी में दवा की कीमतें भी बढ़ानी पड़ेंगीं।
पुरानी कीमत पर माल देने से इनकार गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में बड़ी संख्या में बेसिक ड्रग सप्लायर हैं, जो देशभर की कंपनियों का चीन से माल लाकर सप्लाय करते हैं। सभी का चीन की कंपनियों से अनुबंध है, लेकिन वह कंपनी अब पुरानी कीमतों पर माल देने के लिए तैयार नहीं है। साफ कर दिया है कि माल की डिलेवरी नई कीमत पर ही होगी।
सता रहा डर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए फार्मा सेक्टर पर भी फोकस किया है। उसे बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक बड़ा पैकेज फार्मा रॉ मटेरियल इंडस्ट्री के लिए रखा है। 160 हजार करोड़ का पैकेज केवल इसलिए है कि जो रॉ मटेरियल वर्तमान समय में चीन से आता है, उसके उद्योग भारत में लगे व भविष्य में चीन के ऊपर भारत की निर्भरता कम से कम या समाप्त की जा सके।
और हो सकती बढ़ोत्तरी दवाइयों के रॉ मटेरियल के लिए हमें चीन पर निर्भर रहना पड़ता है। अभी जिस प्रकार चीन-भारत के बीच तनाव चल रहा है, उसका असर फार्मा सेक्टर पर भी नजर आ रहा है। चीन ने कई आइटम के दाम बढ़ा दिए हैं। आने वाले दिनों में अन्य उत्पादों के भाव में भी बढ़ोतरी हो सकती है।
जेपी मूलचंदानी महासचिव, बेसिक ड्रग डीलर एसोसिएशन मध्यप्रदेश